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कौन थीं रानी वेलु नाच्चियार? खड़ी कर दी थी महिला फौज और अंग्रेजों से छीन लिया अपना राज्य

कौन थीं रानी वेलु नाच्चियार? खड़ी कर दी थी महिला फौज और अंग्रेजों से छीन लिया अपना राज्य

संक्षेप: रानी वेलु नाच्चियार ने अंग्रेजों के खिलाफ महिलाओं की फौज खड़ी कर दी थी। उन्होंने अपनी बहादुरी से अंग्रेजों से अपना राज्य वापस छीन लिया। इसके अलावा उन्होंने तिरुचिरापल्ली किले पर भी कब्जा कर लिया।

Fri, 19 Sep 2025 02:26 PMAnkit Ojha लाइव हिन्दुस्तान
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भारत की पहली महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रानी वेलु नाचियार की प्रतिमा का अनावरण किया है। गुइंडी के गांधी मंडपम में यह प्रतिमा स्थापित की गई है। रानी वेलु नाच्चियार ने अपना शिवगंगा राज्य वापस पाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लंबा संघर्ष किया था। यहां तक कि उन्हें आठ साल निर्वासन में काटने पड़े। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए और अपनी रियासत भी वापस ले ली। रानी नााचियार की सेनापति अपनी महिला कमांडर कोयिली की मदद से यह जंग जीती थी। कायिली ने अपनी जान गंवाकर भी अंग्रेजों के शस्त्रागार का नष्ट कर दिया था।

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अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने वाली महिलाओं को जब याद किया जाता है तो हमें सबसे पहले झांसी की रानी की याद आती है। हालांकि 1857 की लड़ाई से भी करीब 77 साल पहले रानी नाच्चियार ने अपनी बहादुरी से अंग्रेजों को परास्त कर दिया था। वेलु के पिता रामनाड रामनाथपुरम के शासक थे। वेलु अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी इसीलिए उनका लालन-पालन बेटे की तरह किया गया। उन्होंने तीरंदाजी और घुड़सवारी के साथ तलवारबाजी की भी शिक्षा ली थी। इसके अलावा उन्हें उर्दू और फ्रांसीसी समेत कई भाषाओं का भी ज्ञान था। 16साल की उम्र में उनकी शादी शिवगंगा के राजकुमार से हो गई थी। शादी के 22 साल तक यानी 1772 तक सब अच्छा चलता रहा।

रानी वेलु के पति की हत्या

1772 में आरकाट के नवाब ने अंग्रेजों के साथ मिलकर शिवगंगा पर हमला कर दिया। इस युद्ध में वेलु नाचियार के पति की हत्या कर दी गई। इसके बाद मारुथु भाइयों, वेल्लई और चित्र ने उन्हें सुरक्षित निकाला और रहने का इंतजाम किया। रानी वेलु के पति का शव भी नहीं मिल पाया। कहा जाता है कि रानी के अंगरक्षक को पति ने पकड़ लिया था। जब उन्होंने रानी का पता नहीं बताया तो उनका सिर धड़ से अलग कर दिया गया।

रानी कई साल तक रानी अपनी बेटी के साथ दर-दर की ठोकरें खाती रहीं। वह जंगल में या फिर बस्तियों में रहती थीं। वहीं रानी वेलु मैसूर पहुंचीं और उन्होंने हैदर अली से मुलाकात की। हैदर अली वेलु के साहस से बेहद प्रभावित थे। इसके बाद हैदर अली ने उनके लिए रहने का इंतजाम किया और रानी की तरह इज्जत बख्शी। वेलु को अपना राज्य किसी तरह वापस लेना था। ऐसे में हैदर अली ने भी वेलु के साथ का आश्वासन दिया। हैदर अली ने अपनी सेना को वेलु के साथ भेजा और इसके बाद शुरू हो गई रानी नाचियार की विजय यात्रा। रानी वेलु ने हैदरअली की सेना को लेकर 1781 तक तिरुचिरापल्ली का किला जीत लिया।

कैसे भेदा अंग्रेजों का किला

रानी वेलु के पास महिलाओं की फौज थी। उनकी सेनापति कोयिली थीं। तिरुचिरापल्ली का किला भेदने के लिए कोयिली ने योजना बनाई। विजयदशमी के त्योहार पर सेना महिलाओं के साथ किले में घुस गई। कोयली गोला-बारूद के भंडार में खुस गईं और वहां आग लगा दी। कोयिली ने अपनी जान देकर रानी के लिए आगे का रास्ता खोल दिया।

रानी वेलु ने इस किले को जीत लिया। आजादी की पहली लड़ाई से करीब 77 साल पहले रानी वेलु ने यह बहादुरी दिखाई थी। अंग्रेजों से अपना राज्य वापस लेने के बाद उन्होंने 10 साल तक शिवगंगा पर राज्य किया। उनके शासनकाल में लोग बेहद खुश थे। रानी वेलु को उनकी बहादुरी के साथ ही न्यायप्रिय और दयालु रानी के तौर पर भी जाना जाता है।

Ankit Ojha

लेखक के बारे में

Ankit Ojha
अंकित ओझा पिछले 8 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। अंकित ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक के बाद IIMC नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया है। इसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है। राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेस्क पर कार्य करने का उनके पास अनुभव है। इसके अलावा बिजनेस और अन्य क्षेत्रों की भी समझ रखते हैं। हिंदी, अंग्रेजी के साथ ही पंजाबी और उर्दू का भी ज्ञान है। डिजिटल के साथ ही रेडियो और टीवी के लिए भी काम कर चुके हैं। और पढ़ें
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