
नेहरू की एक ‘गलती’ और पैदा हो गया PoK, जितेंद्र सिंह ने बताई 1947 की घटना
संक्षेप: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर 1947 में पंडित नेहरू ने पाकिस्तान के खिलाफ एकतरफा सीजफायर का ऐलान ना किया होता तो जम्मू-कश्मीर का इतिहास कुछ और होता और पीओके का जन्म ही ना होता।
चीन के कथित अतिक्रमण और पीओके को लेकर बीजेपी अकसर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराती रहती है। बीजेपी ने एक बार फिर पीओके को लेकर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में पाकिस्तान के खिलाफ एक तरफा सीजफायर का ऐलान ना किया होता तो PoK का जन्म ही ना होता। उन्होंने कहा कि अगर तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के हाथ में होता तो जम्मू-कश्मीर में यह स्थिति कभी ना बनती।
जितेंद्र सिंह ने कहा, अन्य रियासतों की तरह अगर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने सरदार वल्लभभाई पटेल को छूट दी होती तो पीओके का जन्म ही ना होता और भारत व जम्मू-कश्मीर का इतिहास कुछ और ही होता। बता दें कि सरदार पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर गुरुवार को एकता यात्रा को हरी झंडी दिखाते हुए उन्होंने यह बात कही।
सिंह ने कहा कि सरदार पटेल ने संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर 560 रियासतों को एकत्रित कर दिया और भारत राष्ट्र का हिस्सा बना दिया। उन्होंने कहा, सरदार पटेल ने ट्राइबल रेड के दौरान श्रीनगर तक वायुसेना भेज दी थी। बता दें कि अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान ने आदिवासियों की मदद से जम्मू-कश्मीर रियासत पर कब्जा करने की नीयत से लूटपाट का रास्ता अपनाया था। हिंदुओँ पर जमकर अत्याचार किए गए। तब जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने भारत से मदद मांगी। भारत सरकार ने अपनी वायुसेना जम्मू-कश्मीर भेज दी।
सिंह ने कहा, भारतीय सेना पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए जम्मू-कश्मीर के हिस्से को वापस लेने ही वाली थी कि नेहरू ने एकतरफा सीजफायर का ऐलान कर दिया। इसी वजह से पीओके पैदा हो गया। उन्होंने कहा, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्र प्रथम के विचार को लेकर चरते थे और वह कभी नहीं चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर के किसी हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा रह जाए।





