
PM मोदी के सलाहकार बोले- भारत के विकसित होने में सबसे बड़ी बाधा न्यायपालिका, छिड़ा विवाद
संक्षेप: प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार ने बीते दिनों ज्यूडिशियरी को लेकर ऐसी टिप्पणियां कर दी हैं, जिस पर विवाद शुरू हो गया है। संजीव सान्याल ने जजों की लंबी छुट्टियों की आलोचना करते हुए न्यायपालिका को देश के विकास में बाधा कहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार की भूमिका निभा रहे संजीव सान्याल ने हाल ही में देश की न्याय व्यवस्था और वकीलों की आलोचना कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। संजीव सान्याल प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के एक प्रमुख सदस्य हैं। उन्होंने हाल ही में एक बयान में कहा है कि न्यायपालिका विकसित भारत के सपने को पूरा करने के बीच सबसे बड़ी बाधा है। इस दौरान उन्होंने जजों की लंबी छुट्टियों पर भी सवाल उठाए। अब सुप्रीम कोर्ट बार एसोशिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने उन्हें जवाब दिया है।
इससे पहले संजीव सान्याल ने जनरल काउंसल्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में बोलते हुए हाईकोर्ट के जजों की लंबी छुट्टियों की आलोचना की थी। इस दौरान उन्होंने कानूनी भाषा में "प्रार्थना" और "माई लॉर्ड" जैसे शब्दों के इस्तेमाल की भी आलोचना की थी। बता दें कि संजीव सान्याल इससे पहले भी जजों की छुट्टियों को लेकर बयान दे चुके हैं। उन्होंने पिछले साल भी इस संबंध में सुधार की मांग की थी।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने सान्याल की टिप्पणी को गैर जिम्मेदाराना बताते कहा है कि इस तरह की टिप्पणियां अदालतों के कामकाज की समझ की कमी को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा, “हाईकोर्ट की छुट्टियों पर टिप्पणी करने वाले किसी भी व्यक्ति को हाईकोर्ट के कामकाज की समझ नहीं है। छुट्टियों का मतलब यह नहीं होता जब हम कुछ नहीं कर रहे होते हैं और समय बर्बाद कर रहे होते हैं। हाई कोर्ट में छुट्टियों का मतलब समझने के लिए आपको यह जानना होगा कि एक वकील या एक जज सामान्य दिन में किस तरह का काम में काम करते हैं।”
विकास सिंह ने यह भी कहा है इस तरह की टिप्पणी करने वाला शख्स न्यायपालिका के कामकाज के तरीके के प्रति असंवेदनशील है। वहीं भाषा को लेकर की गई आलोचना को लेकर सिंह ने कहा है कि इस तरह के प्रयोग केवल विरासत का एक हिस्सा हैं और सालों से बनी एक आदत है। हालांकि उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि इस तरह के शब्दों को हटाया जाना चाहिए।





