
अमेरिका से मिसाइल ले रहा पाकिस्तान, चीन दे रहा बांग्लादेश को विमान; भारत के पड़ोस में हलचल
संक्षेप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो दुनिया और खासतौर से पाकिस्तान और चीन के मुकाबले काफी ज्यादा है। रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका भारत को निशाना बना रहा है।
भारत और पाकिस्तान में तल्खी जारी है। साथ ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर भारत पर निशाना साध रही है। ऐसे में ये दोनों ही पड़ोसी देश अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहे हैं। खास बात है कि एक ओर जहां पाकिस्तान को अमेरिका AMRAAM मिसाइल दे सकता है। वहीं, चीन से बांग्लादेश को लड़ाकू विमान मिलने के आसार हैं। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

अमेरिका है पाकिस्तान पर मेहरबान
पीटीआई भाषा की रिपोर्ट में एक्सप्रेस ट्रिब्यून के हवाले से बताया गया है कि अमेरिका के DoW यानी युद्ध मंत्रालय की ओर से हाल ही में अधिसूचित एक हथियार अनुबंध में AIM-120 AMRAAM के खरीदारों में पाकिस्तान का भी नाम शामिल है।
अधिसूचना में कहा गया है, 'इस अनुबंध में ब्रिटेन, पोलैंड, पाकिस्तान, जर्मनी, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, रोमानिया, कतर, ओमान, कोरिया, यूनान, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, नीदरलैंड, चेक गणराज्य, जापान, स्लोवाकिया, डेनमार्क, कनाडा, बेल्जियम, बहरीन, सऊदी अरब, इटली, नॉर्वे, स्पेन, कुवैत, फिनलैंड, स्वीडन, ताइवान, लिथुआनिया, इजरायल, बुल्गारिया, हंगरी और तुर्की को विदेशी सैन्य बिक्री शामिल है।'
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान को कितनी नई AMRAAM मिसाइलें दी जाएंगी लेकिन इस खबर के सामने आने से पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 बेड़े के उन्नत होने की चर्चा हो रही है।
चीन और बांग्लादेश
बांग्लादेश ने 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से चीन निर्मित 20 जे-10सीई लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बनाई है। समाचार पत्र बिजनेस स्टैंडर्ड ने सरकारी दस्तावेजों के हवाले से अपनी एक खबर में कहा कि इस सौदे में प्रशिक्षण, रखरखाव और अन्य संबंधित खर्च भी शामिल होंगे। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश को ये लड़ाकू विमान 2026 और 2027 के दौरान बांग्लादेशी वायु सेना के आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय हवाई रक्षा को मजबूत करने के लिए मिलेंगे। इस सौदे पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
चीन और अमेरिका, दोनों से ही रिश्ते हैं तल्ख
साल 2020 में गलवान में हुई सैन्य झड़प के बाद से ही भारत और चीन के रिश्तों में तनाव आ गया था। हालांकि, बाद में दोनों मुल्कों ने डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की थी। फिलहाल, दोनों पक्ष तनाव कम होने की संभावनाएं जता रहे हैं। अगस्त में SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी की थी।
इधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो दुनिया और खासतौर से पाकिस्तान और चीन के मुकाबले काफी ज्यादा है। रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका भारत को निशाना बना रहा है। जबकि, चीन भी रूसी तेल का बड़ा खरीददार है। साथ ही भारत ने यह भी साफ किया है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ भी रूस से व्यापार करते हैं।
खबरें हैं कि अमेरिका ने जी7 देशों से अपील की है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाया जाए।
(पीटीआई भाषा इनपुट के साथ)





