बारिश रोकने की आ रही तकनीक, भारतीय वैज्ञानिकों का कमाल; मौसम GPT भी होगा लॉन्च
- भारतीय वैज्ञानिक इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए बारिश को रोकने की भी तकनीक ईजाद करने की ओर हैं। इसके तहत उन शहरों में बारिश को रोकने या टालने की कोशिश की जाएगी, जहां कोई बड़ा आयोजन होना हो या फिर स्वतंत्रता दिवस जैसा अवसर हो। इसके अलावा बार बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात शहरों में बन जाते हैं।
अब तक सूखे की मार पड़ने या फिर भीषण गर्मी से बचाव के लिए बारिश कराने की तकनीक पर चर्चा होती रही है। भारत, चीन समेत दुनिया के कई देशो ने इसमें महारत भी हासिल कर ली है। यही नहीं अब भारतीय वैज्ञानिक इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए बारिश को रोकने की भी तकनीक ईजाद करने की ओर हैं। इसके तहत उन शहरों में बारिश को रोकने या टालने की कोशिश की जाएगी, जहां कोई बड़ा आयोजन होना हो या फिर स्वतंत्रता दिवस जैसा अवसर हो। इसके अलावा बार बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात शहरों में बन जाते हैं। इस तकनीक में सफलता मिलने पर उन हालातों को टाला जा सकेगा।
इस संबंध में अर्थ ऐंड साइंस मिनिस्ट्री से जुड़े वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अगले एक से डेढ़ साल में इस दिशा में कुछ ठोस प्रगति हो सकती है। इसके तहत कहीं बारिश कराई जा सकेगी और जरूरत पड़ने पर बारिश को टाला भी जा सकेगा। इस तकनीक को 'मौसम जीपीटी' कहा जा रहा है। यही नहीं मौसम की भविष्यवाणी को और सटीक करने की दिशा में भी वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। यदि ऐसी तकनीक में भारत को महारत मिली तो वह दुनिया में एक बड़ी सफलता हासिल कर लेगा और मौसम से जुड़े बदलावों को नियंत्रित करने में वह अन्य मुल्कों के मुकाबले एक कदम आगे होगा।
माना जा रहा है कि इससे बादल फटने जैसी घटनाओं से भी बचाव में मदद मिलेगी। अगले 5 साल में भूगर्भ विज्ञान मंत्रालय एक चैट जीपीटी की तर्ज पर ऐसा ऐप तैयार करने जा रहा है, जिससे मौसम की जानकारियां आसानी से मिल सकेंगी। इस ऐप का नाम मौसम जीपीटी रखा जाएगा। इसकी मदद से लोगों को मौसम के बदलावों के बारे में लिखित और ऑडियो के तौर पर जानकारी मिल सकेगी। बारिश को बढ़ाने या रोकने के लिए पहले से ही क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक का अब तक अमेरिका, कनाडा, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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