Hindi NewsIndia NewsNot only Ajeet Bharti Aniruddhacharya also had harsh words about the CJI action demanded
अजीत भारती ही नहीं, CJI को लेकर अनिरुद्धाचार्य के भी बिगड़े थे बोल; जानें क्या कहा था

अजीत भारती ही नहीं, CJI को लेकर अनिरुद्धाचार्य के भी बिगड़े थे बोल; जानें क्या कहा था

संक्षेप: आपको बता दें कि सीजेआई गवई ने 18 सितंबर को ही स्पष्ट किया था कि उनकी टिप्पणियां पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के अधिकार क्षेत्र से जुड़ी थीं और याचिकाकर्ता की प्रार्थना न्यायालय नहीं मान सकता था।

Wed, 8 Oct 2025 08:07 AMHimanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।
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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर ना सिर्फ अजीत भारती सुर्खियों में हैं, बल्कि कथावचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग होने लगी है। मिशन आंबेडकर के संस्थापक सुरज कुमार बौद्ध ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर मुख्य न्यायाधीश गवई पर कथित हमले की साजिश को भड़काने वाले दो व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी है। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि धार्मिक प्रवचक अनिरुद्धाचार्य उर्फ अनिरुद्ध राम तिवारी ने 6 अक्टूबर को हुए हमले से पहले एक वीडियो जारी कर सीजेआई को धमकी दी थी।

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उन्होंने लिखा, “21 सितंबर 2025 को सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में अनिरुद्धाचार्य ने कहा था— ‘अगर छाती चीरवानी है तो बता दो।’ यह बयान न्यायालय में ‘विष्णु प्रतिमा मामले’ पर सीजेआई की टिप्पणियों के विरोध में दिया गया था और इसे देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था के खिलाफ हिंसा भड़काने की कोशिश माना गया।”

आपको बता दें कि सीजेआई गवई ने 18 सितंबर को ही स्पष्ट किया था कि उनकी टिप्पणियां पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के अधिकार क्षेत्र से जुड़ी थीं और याचिकाकर्ता की प्रार्थना न्यायालय नहीं मान सकता था।

अजीत भारती पर भी आरोप

उन्होंने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि हमले के दिन ही यूट्यूबर अजीत भारती ने अपने एक्स अकाउंट से सीजेआई के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट की थी, जिससे अदालत और न्यायाधीशों के प्रति नफरत फैलाने की कोशिश की गई। उन्होंने लिखा, “ऐसे बयान न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं और न्यायाधीशों के निडर होकर कार्य करने में बाधा उत्पन्न करते हैं। इस तरह की घटनाएं भारत के न्यायिक इतिहास में अभूतपूर्व हैं।”

शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सुनवाई के दौरान सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें तुरंत काबू कर लिया। बाहर ले जाते समय उन्होंने कहा, “सनातन धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।” दिल्ली पुलिस ने बाद में उन्हें छोड़ दिया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने मुकदमा दर्ज करने से इनकार किया।

घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई मुख्यमंत्रियों एमके स्टालिन, पिनराई विजयन, सिद्धारमैया, रेवंत रेड्डी और ममता बनर्जी ने इस घटना की निंदा करते हुए सीजेआई के साथ एकजुटता जताई।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकील राकेश किशोर का लाइसेंस निलंबित कर दिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और कई उच्च न्यायालयों की बार एसोसिएशनों ने भी इस घटना को “लोकतंत्र और न्यायपालिका पर हमला” बताया।

सुरज कुमार बौद्ध ने कहा, “यदि ऐसे व्यक्तियों को न्याय के दायरे में नहीं लाया गया तो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की नींव खतरे में पड़ जाएगी। किसी भी न्यायाधीश को डर या पक्षपात के बिना अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोका नहीं जाना चाहिए।” उन्होंने अटॉर्नी जनरल से धारा 15, अवमानना न्यायालय अधिनियम 1971 के तहत आपराधिक अवमानना की कार्यवाही की अनुमति मांगी है।

Himanshu Jha

लेखक के बारे में

Himanshu Jha
कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट हिमांशु शेखर झा करीब 9 वर्षों से बतौर डिजिटल मीडिया पत्रकार अपनी सेवा दे रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा राष्ट्रीय राजनीति पर अच्छी पकड़ है। दिसंबर 2019 में लाइव हिन्दुस्तान के साथ जुड़े। इससे पहले दैनिक भास्कर, न्यूज-18 और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में भी काम कर चुके हैं। हिमांशु बिहार के दरभंगा जिला के निवासी हैं। और पढ़ें
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