Hindi NewsIndia Newsnitish kumar ebc vote bank 36 percent will impact bihar assembly elections

बिहार में किसके पक्ष में जाएगा 36 का आंकड़ा, अब तक नीतीश कुमार को मिला है साथ

संक्षेप: इस वर्ग में कुल 112 जातियां आती हैं। ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग के बीच में आने वाले इस समुदाय की इतिहास में राजनीतिक पकड़ और पहचान कमजोर रही है। ऐसे में यादवों की छत्रछाया से अलग जब नीतीश कुमार ने कुर्मी, कोइरी, कुशवाहा और अन्य ईबीसी की गोलबंदी की तो यह वर्ग मुखर हुआ है।

Tue, 7 Oct 2025 11:29 AMSurya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
share Share
Follow Us on
बिहार में किसके पक्ष में जाएगा 36 का आंकड़ा, अब तक नीतीश कुमार को मिला है साथ

बिहार विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही समीकरणों पर बातें तेज हो गई हैं। कौन किसके साथ जाएगा और कौन किसके खिलाफ मतदान करेगा, इस पर चर्चाएं तेज हैं और हर खेमा अपने साथ बड़े वोटबैंक को लाने की कोशिश में है। कभी राज्य में 18 फीसदी मुसलमानों की बात होती है तो वहीं 14 फीसदी यादव समुदाय भी एक बड़ा वोटबैंक है। लेकिन आरजेडी 2005 के बाद से ही अपने दम पर यदि सत्ता में नहीं आ पा रही है तो इसकी वजह है कि वह यादव और मुसलमान समीकरण से आगे नहीं बढ़ पाई है। इसका कारण यह रहा है कि 18+14 वाले इस वोट को साधने के बाद वह अधिकतम 32 फीसदी वोट सुनिश्चित कर लेती है। इसमें भी कुछ वोट कटता जरूर है।

वहीं नीतीश कुमार और भाजपा के पास गैर-यादव ओबीसी छिटकता रहा है। यही नहीं नीतीश कुमार ने जब इस ओबीसी में भी विभाजन करके ईबीसी वर्ग तैयार किया तो वह उनकी रणनीति और कारगर हो गई। यादव और मुस्लिम प्रभुत्व के विपरीत अति पिछड़ा वर्ग का मतदाता उनके साथ खड़ा दिखाई दिया। इसी वर्ग का एक हिस्सा भाजपा के साथ है और सवर्ण तो एकजुटता के साथ भगवा खेमे को वोट करता रहा है। अहम बात यह है कि यह ईबीसी वर्ग आरजेडी के MY समीकरण से अधिक है और एकमुश्त है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में EBC वोटर्स की संख्या 36 फीसदी है। यह संख्या राज्य का सबसे बड़ा वोटर ब्लॉक बनाती है, जिस पर नीतीश कुमार काबिज रहे हैं।

इस वर्ग में कुल 112 जातियां आती हैं। ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग के बीच में आने वाले इस समुदाय की इतिहास में राजनीतिक पकड़ और पहचान कमजोर रही है। ऐसे में यादवों की छत्रछाया से अलग जब नीतीश कुमार ने कुर्मी, कोइरी, कुशवाहा और अन्य ईबीसी की गोलबंदी की तो यह वर्ग मुखर हुआ है। इसी वर्ग में कुछ मुस्लिम जातियां भी आती हैं और यदि उन्हें हटा भी दें तो नंबर 26 फीसदी हो जाता है।

नीतीश कुमार ने इस वर्ग के लिए पंचायतों में आरक्षण दिया है। इसके अलावा सीट बंटवारे में भी ख्याल रखते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा का सवर्ण, नीतीश का ईबीसी, चिराग पासवान का दलित और जीतनराम मांझी का महादलित वोट मिलकर एनडीए को बड़ी ताकत दे सकता है। हालांकि इसमें एक्स फैक्टर प्रशांत किशोर होंगे। हर किसी की यह जानने में दिलचस्पी रहेगी कि किस वर्ग का कितना वोट किसे मिलता है।

Surya Prakash

लेखक के बारे में

Surya Prakash
दुनियादारी में रुचि पत्रकारिता की ओर खींच लाई। समकालीन राजनीति पर लिखने के अलावा सामरिक मामलों, रणनीतिक संचार और सभ्यतागत प्रश्नों के अध्ययन में रुचि रखते हैं। करियर की शुरुआत प्रिंट माध्यम से करते हुए बीते करीब एक दशक से डिजिटल मीडिया में हैं। फिलहाल लाइव हिन्दुस्तान में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क के इंचार्ज हैं। और पढ़ें
इंडिया न्यूज़ , विधानसभा चुनाव और आज का मौसम से जुड़ी ताजा खबरें हिंदी में | लेटेस्ट Hindi News, बॉलीवुड न्यूज , बिजनेस न्यूज , क्रिकेट न्यूज पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।