CJI बनते ही ऐक्शन में जस्टिस संजीव खन्ना, तत्काल सुनवाई पर बदल डाली जस्टिस चंद्रचूड़ वाली व्यवस्था

CJI Justice Sanjiv Khanna ने पुरानी परंपरा को बदलते हुए कहा कि अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा। केवल ई-मेल या लिखित पत्र के जरिए ही तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध स्वीकार किया जाएगा। वजह भी बताने होंगे।

CJI बनते ही ऐक्शन में जस्टिस संजीव खन्ना, तत्काल सुनवाई पर बदल डाली जस्टिस चंद्रचूड़ वाली व्यवस्था
Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
Tue, 12 Nov 2024, 02:35:PM

New CJI Justice Sanjiv Khanna: देश के नए नवेले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना बतौर CJI अपने कार्यकाल के दूसरे दिन यानी मंगलवार को ऐक्शन में दिखे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामलों की तत्काल सुनवाई पर नई व्यवस्था करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख करने की अनुमति अब नहीं दी जाएगी। उन्होंने वकीलों से इसके लिए ई-मेल या लिखित पत्र भेजने का आग्रह किया। आमतौर पर वकील दिन की कार्यवाही की शुरुआत में CJI की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष अपने मामलों पर तत्काल सुनवाई के लिए उनका मौखिक उल्लेख करते रहे हैं।

चीफ जस्टिस खन्ना ने इस पुरानी परंपरा को बदलते हुए कहा, “अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा। केवल ई-मेल या लिखित पर्ची/पत्र के जरिए ही तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध स्वीकार किया जाएगा। बस, उस पत्राचार में वकीलों को तत्काल सुनवाई की आवश्यकता के कारण बताने होंगे।” बता दें कि पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान मौखिक उल्लेख की परंपरा ने वकीलों को मौखिक रूप से तत्काल केस की लिस्टिंग का अनुरोध करने की अनुमति दी थी। हालांकि, इस व्यवस्था का इस्तेमाल आमतौर पर आसन्न गिरफ्तारी के मामलों या पुलिसिया कार्रवाई में अक्सर विध्वंस के मामलों में राहत पाने के लिए किया जाता था।

नए चीफ जस्टिस खन्ना ने न्यायिक सुधारों के लिए नागरिक-केंद्रित एजेंडे की रूपरेखा तैयार की है और कहा है कि न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना और नागरिकों के साथ उनकी स्थिति की परवाह किए बिना समान व्यवहार करना न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है। जस्टिस खन्ना ने एक दिन पहले ही मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली है। 10 नवंबर को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल खत्म हो गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस खन्ना को शपथ दिलाई थी।

प्रधान न्यायाधीश ने सोमवार को अपने पहले बयान में कहा, ‘‘न्यायपालिका शासन प्रणाली का अभिन्न, फिर भी अलग और स्वतंत्र हिस्सा है। संविधान हमें संवैधानिक संरक्षक, मौलिक अधिकारों के रक्षक और न्याय के सेवा प्रदाता होने के महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘समान व्यवहार के मामले में न्याय वितरण ढांचे में सभी को सफल होने का उचित अवसर प्रदान करना आवश्यक है, चाहे उनकी स्थिति, धन या शक्ति कुछ भी हो, और ये न्यायपूर्ण और निष्पक्ष निर्णय हो। ये हमारे मूल सिद्धांतों को चिह्नित करते हैं।’’

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प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमें सौंपी गई जिम्मेदारी नागरिकों के अधिकारों के रक्षक और विवाद समाधानकर्ता के रूप में हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। हमारे महान राष्ट्र के सभी नागरिकों के लिए न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है।’’जस्टिस खन्ना ने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया जिनमें लंबित मामलों की संख्या कम करना, मुकदमेबाजी को किफायती बनाना और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्यकता शामिल है।

उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को सभी नागरिकों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। उन्होंने अदालतों को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए एक दृष्टिकोण की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा कि प्रधान न्यायाधीश का उद्देश्य एक आत्म-मूल्यांकन दृष्टिकोण अपनाना है जो अपने कामकाज में फीडबैक के प्रति ग्रहणशील और उत्तरदायी हो।इसमें कहा गया है, ‘‘नागरिकों के लिए फैसलों को समझने योग्य बनाना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना भी प्राथमिकता में होगा।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)

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