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भारत के साथ डील जरूरी, नरम पड़ गए टैरिफ पर डींगें हांकने वाले डोनाल्ड ट्रंप के साथी

भारत के साथ डील जरूरी, नरम पड़ गए टैरिफ पर डींगें हांकने वाले डोनाल्ड ट्रंप के साथी

संक्षेप: अमेरिका के वाणिज्य मंत्री ने नरम रुख अपनाते हुए कहा है कि अब भारत के साथ डील करना जरूरी  है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को भी अमेरिका के लिए हितकर नीतियां बनानी चाहिए।

Sun, 28 Sep 2025 03:06 PMAnkit Ojha लाइव हिन्दुस्तान
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भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद अब अमेरिका का कहना है कि वह भारत के साथ डील करके इसका हल निकालना चाहता है। अमेरिकी वित्त मंत्री हावर्ड लटनिक ने कहा कि हमें भारत समेत कई देशों के साथ समझौता करना है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि भारत को हमसे माफी मांगनी पड़ेगी।

वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भारत और ब्राजील को अमेरिका को सही प्रतिक्रिया देनी चाहिए और अपने बाजार को खोल दना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसी कोई नीति नहीं बनानी चाहिए जिससे कि अमेरिका को नुकसान हो।उन्होंने कहा, हमें कई देशों से बात करके हल निकालना है। इनमें भारत, ब्राजील और स्विट्जरलैंड जैसे देश हैं।

लटनिक ने दावा किया था कि एक या दो महीने में ही भारत बात करने के लिए टेबल पर आ जाएगा और उसे माफी मांगनी पड़ेगी। हालांकि भारत ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है और अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज कर विकल्प तलाशने में जुटा है। यह अमेरिका के लिए परेशानी का सबब बन गया है। लटनिक ने कहा था कि अमेरिका की नीतियां मोदी सरकार को अमेरिका के साथ डील करने को मजबूर कर देंगी।

लटनिक ने कहा था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और यह बहत ही हास्यास्पद है। उन्होंने कहा था कि भारत को ही फैसला करना होगा कि वह अमेरिका की ओर है या रूस की ओर। उन्होंने कहा था कि अमेरिका की कंज्यूमर मार्केट बहुत बड़ी है। ऐसे में सबको ही उनको ग्राहकों के पास लौटना ही पड़ेगा और ग्राहक हमेशा सही होता है।

ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80 वें सत्र से इतर शुक्रवार को भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक में सदस्यों ने व्यापार-प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयों के प्रसार पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चाहे ये प्रतिबंध टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों में अंधाधुंध वृद्धि के रूप में हों, या संरक्षणवाद के रूप में, विशेष रूप से दबाव के साधन के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले उपायों के रूप में इनसे वैश्विक व्यापार में कमी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधा और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं व्यापारिक गतिविधियों में अनिश्चितता पैदा होने का खतरा पैदा होता है।

Ankit Ojha

लेखक के बारे में

Ankit Ojha
अंकित ओझा पिछले 8 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। अंकित ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक के बाद IIMC नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया है। इसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है। राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेस्क पर कार्य करने का उनके पास अनुभव है। इसके अलावा बिजनेस और अन्य क्षेत्रों की भी समझ रखते हैं। हिंदी, अंग्रेजी के साथ ही पंजाबी और उर्दू का भी ज्ञान है। डिजिटल के साथ ही रेडियो और टीवी के लिए भी काम कर चुके हैं। और पढ़ें
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