
किसी बहू-बेटी की CCTV फुटेज जारी करनी चाहिए? चुनाव आयोग का राहुल गांधी को जवाब
संक्षेप: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि वोटरों के फोटो, नाम और पहचान सार्वजनिक रूप से दिखाए गए, जो उनकी निजता का उल्लंघन है
चुनाव आयोग, देश के विपक्षी दलों के निशाने पर है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच रविवार को चुनाव आयोग ने पत्रकारों से बात की और एक-एक आरोपों का जवाब दिया। साथ ही बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ( SIR ) प्रक्रिया पर उठे सवालों और वोट चोरी के आरोपों का जवाब दिया। पत्रकारों से बात करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि न तो मेरे के लिए कोई पक्ष है, ना ही विपक्ष। मेरे लिए सभी एक समान है। इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से लगाए गए वोट चोरी के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। साथ ही मां-बेटी की तस्वीरों पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या ऐसा करना चाहिए।

चुनाव आयोग के दरवाजे खुले हैं
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कानून के अनुसार, अगर समय पर मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा नहीं की जाती, अगर मतदाता द्वारा अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाती, और फिर 'वोट चोरी' जैसे गलत शब्दों का उपयोग कर जनता को गुमराह करने की नाकाम कोशिश की जाती है, तो यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है?
उन्होंने कहा कि वोटरों के फोटो, नाम और पहचान सार्वजनिक रूप से दिखाए गए, जो उनकी निजता का उल्लंघन है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले हैं, और रहेंगे। जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, राजनीतिक दल और बूथ लेवल अधिकारी मिलकर पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं, सत्यापन कर रहे हैं, हस्ताक्षर कर रहे हैं और वीडियो प्रशंसापत्र दे रहे हैं। फिर वोट चोरी का आरोप लगाना सही है क्या?
ज्ञानेश कुमार ने आगे कहा कि सच्चाई यह है कि सभी हितधारक बिहार के SIR को पूरी तरह सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ काम कर रहे हैं। जब बिहार के सात करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के साथ खड़े हैं। ऐसे में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर और न ही मतदाताओं की विश्वसनीयता पर कोई सवाल उठाया जा सकता है।
क्यों बहू-बेटी के फुटेज जारी करें?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हाल ही में हमने देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं और उन पर आरोप लगाए गए। क्या चुनाव आयोग को किसी मतदाता, चाहे वह मां हों, बहू हों, या बेटी हों, के सीसीटीवी फुटेज साझा करने चाहिए? मतदाता सूची में जिनके नाम हैं, वही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में एक करोड़ से अधिक कर्मचारी, 10 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट, और उम्मीदवारों के 20 लाख से अधिक पोलिंग एजेंट काम करते हैं। इतने लोगों के सामने इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई वोट चुरा सकता है? ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कुछ नेताओं ने डबल वोटिंग का आरोप लगाया, लेकिन सबूत मांगने पर कोई जवाब नहीं दिया गया। ऐसे झूठे आरोपों से न तो चुनाव आयोग और न ही मतदाता डरते हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के कंधों पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है। ऐसे में चुनाव आयोग स्पष्ट करना चाहता है कि वह निडर होकर, बिना भेदभाव के, गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा, सभी वर्गों और धर्मों के मतदाताओं के साथ खड़ा था, है और आगे भी रहेगा।
सिर्फ भारतीय ही बनेंगे वोटर
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारतीय नागरिक ही विधायक या सांसद का चुनाव कर सकते हैं, किसी अन्य देश के नागरिकों को यह अधिकार नहीं है। अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो SIR प्रक्रिया में उनकी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे गए हैं। 30 सितंबर तक इनकी पूरी जांच होगी, और जांच में जो लोग भारत के नागरिक नहीं पाए जाएंगे, उनका वोटर कार्ड निश्चित रूप से नहीं बनेगा।





