
एच1बी वीजा फीस पर अमेरिका से चल रही बातचीत, सरकार ने क्या बताया; मान जाएंगे डोनाल्ड ट्रंप?
संक्षेप: एच1बी वीजा फीस को लेकर भारत अमेरिका और अन्य साझेदारों के साथ बातचीत में जुटा है। इस पर कानून बनाने को लेकर बात चल रही है। विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है।
एच1बी वीजा फीस को लेकर भारत अमेरिका और अन्य साझेदारों के साथ बातचीत में जुटा है। इस पर कानून बनाने को लेकर बात चल रही है। विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि कुशल भारतीय प्रतिभा की गतिशीलता दोनों देशों में इनोवेशन और आर्थिक विकास में योगदान करती है। नए शुल्क की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह की थी। यह फीस एच-1बी वीजा कार्यक्रम के दुरुपयोग को रोकने और गैर-अप्रवासी श्रमिकों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के उपायों के तहत था, जिसे अमेरिकी प्रशासन राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा मानता है। इस शुल्क से भारतीय नागरिकों के प्रभावित होने की उम्मीद है। इस वीजा से लाभ पाने वाले सबसे ज्यादा भारतीय ही हैं। वीजा में लगभग तीन-चौथाई हिस्सा लिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एच1बी वीज़ा कार्यक्रम में बदलाव के लिए प्रस्तावित नियम बनाने के संबंध में अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि उद्योग और अन्य हितधारकों को इस पर राय देने के लिए एक महीने का समय दिया गया है। बता दें कि वीजा फीस में बढ़ोत्तरी के बाद अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्टीकरण भी जारी किया था। इसमें बताया गया कि एक लाख डॉलर की एच1बी वीजा फीस केवल एक बार ही लगेगी। इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया कि यह वीजा फीस वन टाइम है और नए वीजा के लिए अप्लाई करने वालों पर अगले साइकिल से लागू होगी।
जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में नए नियमों पर बात की। उन्होंने विदेश मंत्रालय, वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास और अमेरिकी प्रशासन के बीच संपर्कों पर चर्चा करते हुए कहा कि अभी चीजें विकसित हो रही हैं। हम विभिन्न स्तरों पर जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष का मानना है कि स्किल्ड प्रोफेशनल्स की अमेरिका में आवाजाही से दोनों देशों को फायदा होता है। जायसवाल ने कहा कि हमने यह पहले भी कहा है - कि भारत और अमेरिका के बीच कुशल प्रतिभा की गतिशीलता और आदान-प्रदान ने दोनों अर्थव्यवस्थाओं में इनोवेशन, धन सृजन, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हम इंडस्ट्री सहित सभी संबंधितों के साथ जुड़े रहना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि इन कारकों पर उचित ध्यान दिया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जायसवाल ने ट्रम्प प्रशासन के 1 अक्टूबर से फार्मास्युटिकल उत्पादों, बड़े ट्रकों और फर्नीचर पर 100% टैरिफ लगाने के प्रस्ताव पर एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि भारत सरकार के संबंधित विभाग इस मामले को समझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, भारत और अमेरिका पिछले कुछ महीनों से द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत में शामिल हैं। ये चल रही चर्चाएं स्वाभाविक रूप से हमारे लिए रुचि के सभी क्षेत्रों को कवर करती हैं। जायसवाल ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ, 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर से मिले थे। उन्होंने कहा कि चर्चा का मुख्य केंद्र व्यापार और टैरिफ था। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं की भी समीक्षा की गई।





