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मणिपुर में फिर तनाव, इंटरनेट और स्कूल-कॉलेज भी बंद; हालात संभालने पहुंचे 2 हजार CRPF जवान

  • मणिपुर सरकार ने राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर इंटरनेट सेवाओं पर 5 दिन के लिए पाबंदी लगा दी है।

Himanshu Tiwari हिन्दुस्तान टाइम्स, थॉमस एनगोंग, इंफालTue, 10 Sep 2024 01:49 PM
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मणिपुर सरकार ने राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर इंटरनेट सेवाओं पर 5 दिन के लिए पाबंदी लगा दी है। सरकार ने आशंका जताई है कि कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे घृणा फैलाने वाले संदेश और तस्वीरें प्रसारित हो सकती हैं, जो कानून-व्यवस्था की स्थिति को और बिगाड़ सकती है। राज्य सरकार की तरफ से सभी स्कूल-कॉलेजों को भी बंद करने का आदेश जारी किया गया है।

गृह विभाग की ओर से मंगलवार को जारी एक आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया और मैसेजिंग सेवाओं के जरिए फैलने वाले भड़काऊ सामग्री और झूठी अफवाहों के कारण जनसाधारण की शांति और सामुदायिक सद्भाव को खतरा उत्पन्न हो सकता है। इस स्थिति को देखते हुए, असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने और शांति बनाए रखने के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को 10 सितंबर की दोपहर 3 बजे से 15 सितंबर की दोपहर 3 बजे तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। यह आदेश उन मामलों को छोड़कर लागू होगा जिनके लिए राज्य सरकार ने छूट दी है।

मणिपुर में स्कूल-कॉलेज गुरुवार तक बंद

मणिपुर सरकार ने राज्य के सभी कॉलेजों और स्कूलों को गुरुवार तक बंद रखने का आदेश दिया है। उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने मंगलवार को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि छात्र आंदोलन और सरकार से बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के चलते कॉलेज और स्कूल बंद रहेंगे।

8 सितंबर के सरकार के आदेश के तहत, सभी सरकारी और निजी कॉलेजों को बुधवार से गुरुवार तक बंद रखने की घोषणा की गई है। उसी दिन शिक्षा विभाग (स्कूल) ने भी स्कूलों की बंदी की अवधि को गुरुवार तक बढ़ा दिया है। स्कूलों को बढ़ती हिंसा के मद्देनजर इन्हें शनिवार से बंद किया गया था।

होगी 2 हजार सीआरपीएफ जवानों की तैनाती

केंद्र ने जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा ड्यूटी के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दो नई बटालियन की तैनाती का निर्देश दिया है, जिनमें करीब 2,000 जवान होंगे। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बटालियन संख्या-58 को वारंगल (तेलंगाना) से, जबकि बटालियन संख्या-112 को लातेहार (झारखंड) से भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक बटालियन को मणिपुर के कांगवई (चुराचांदपुर) जबकि दूसरी बटालियन को इंफाल के आसपास तैनात किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि यह कदम जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ अन्य हिस्सों में तैनाती के लिए मणिपुर से असम राइफल्स की दो बटालियन को वापस बुलाए जाने के बाद उठाया गया है। गृह मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि इन दो नई बटालिन की सभी कंपनियां (लगभग 6-6) हिंसा प्रभावित राज्य के विभिन्न भागों में तैनात रहेंगी, जहां पिछले साल मई से जातीय संघर्ष जारी है, जिसमें 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सीआरपीएफ की एक बटालियन में करीब 1,000 जवान होते हैं। इस बल के पास मुख्य रूप से तीन तरह की जिम्मेदारी है, जिनमें पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटना, नक्सल-रोधी अभियान चलाना और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियान शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि पिछले वर्ष की हिंसा के बाद मणिपुर में पहले से ही बल की 16 बटालियन तैनात हैं। हिंसा भड़कने से पहले मणिपुर में बल की लगभग 10-11 बटालियन थीं। एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मणिपुर में सीआरपीएफ की प्रमुख भूमिका होगी। पिछले साल मई में मेइती और कुकी लोगों के बीच हिंसा भड़कने के बाद बल की नई बटालिन राज्य में भेजी गई थीं और अब बल को मजबूत किया जा रहा है ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया बेहतर हो सके।’’ इस बीच, सीआरपीएफ और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों और कुछ स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम इस सप्ताह के अंत में मणिपुर का दौरा करेगी। यह टीम पिछले कुछ दिनों में राज्य के कुछ क्षेत्रों में हमले में इस्तेमाल किए गए ड्रोन और रॉकेट का ‘‘विश्लेषणात्मक अध्ययन’’ करेगी।

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