जब महाराजा रणजीत सिंह ने कर ली मुस्लिम नर्तकी से शादी, अकाल तख्त के सामने खाने पड़े कोड़े
- खालसा साम्राज्य के पहले सम्राट महाराजा रणजीत सिंह ने 50 साल की उम्र में 18 साल की नर्तकी से शादी की थी। नर्तकी मुस्लिम थी इसलिए महाराज रणजीत सिंह को अकाल तख्त ने सजा सुना दी थी।
खालसा साम्राज्य के पहले महाराजा शेर-ए-पंजाब कहे जाने वाले रणजीत सिंह से अंग्रेज भी घबराते थे। उन्होंने पंजाब को एकजुट कर दिया था। उन्होंने अपनी बहादुरी से मुस्लिम शासकों के छक्के छुड़ा दिए थे और कश्मीर को भी आजात करवा लिया था। इससे इतर उनकी प्रेम कहानी भी बेहद दिलचस्प है। उन्हें 50 साल की उम्र में एक मुस्लिम नर्तकी से प्रेम हो गया। सिख धर्म के नियमों को देखते हुए वह उसे प्रेमिका बनाकर ही रखना चाहते थे। हालांकि नर्तकी सहमत नहीं हुई तो महाराजा रणजीत सिंह ने उससे शादी कर ली। आइए जानते हैं कि आखिर पूरा किस्सा क्या था।
महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर 1780 को एक सिख परिवार में हुआ था। उनकी कई पत्नियों के नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। उनकी सबसे बड़ी पत्नी का नाम दातार कौर था। शादी से पहले उनका नाम बीबी राज कौर नकई था। हालांकि शादी के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया था। उनकी दूसरी पत्नी का नाम मेहताब कौर था। मेहताब कौर से उनके तीन बेटे थे। इसके अलावा जींद कौर, गुलाब कौर और गुल बहार बेगम का नाम उनकी रानियों में था।
गुल बहार बेगम के ही प्यार में महाराजा रणजीत सिंह इस तरह दीवाने हो गए थे कि उन्होंने अकाल तख्त के सामने कुर्ता उतारकर कोड़ा खाना भी स्वीकार कर लिया। गुल बहार अमृतसर की थीं। एक शादी समारोह में महाराजा रणजीत सिंह ने उसे गाते और नाचते हुए देखा। एक ही नजर में महाराजा उन्हें दिल दे बैठे। इतिहासकार इकबाल कैसर लिखते हैं कि रणजीत सिंह नर्तकी के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार थे। लेकिन गुल बहार ने कहा कि वह प्रेमिका बनकर नहीं रह सकती।
उस समय महाराजा रणजीत सिंह की उम्र 50 साल थी। गुल बहार ने प्रस्ताव रखा कि अगर महाराजा रणजीत सिंह उनसे ब्याह रचाएं तो वह उनके साथ रहने को तैयार है। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने बात मान ली। यह भी कहा जाता है कि गुल बहार ने यह भी शर्त रखी थी कि उनका हाथ मांगने रणजीत सिंह को पैदल उनके घर जाना होगा। महाराजा रणजीत सिंह ने ऐसा किया या नहीं, उसकी पुष्टि नहीं की जा सकती। फिलहाल उन्होंने मुस्लिम लड़की से शादी कर ली।
मुस्लिम से शादी की बात सुनकर अकाल तख्त में खलबली मच गई। इसके बाद मराजा को अमृतसर के अकाल तख्त से बुलाया भेज दिया गया। महाराजा रणजीत सिंह अकाल तख्त के सामने हाजिर हुए। सजा के तौर पर उन्हें फर्श धोने का काम दिया गया। इकबाल कैसर का कहना है कि अकाल तख्त ने महाराजा रणजीत सिंह को कोड़े खाने की सजा दी ती। रणजीत सिंह ने सजा स्वीकार कर ली। अब दिक्कत यह थी कि इतने प्रभावशाली व्यक्ति को कोड़े कौन मारेगा। इसके बाद समाधान यह निकाला गया कि रेशम का कोड़ा तैयार किया गया। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह की सजा पूरी हुई।
इतिहासकारों का कहना है कि महाराजा रणजीत सिंह शादी के लिए शाही आभूषणों में हाथी पर सवार हुए। अमृतसर के राम बाग में शादी का समारोह हुआ। पीले कपड़ों में गुल बहार ने रणजीत सिंह से शादी की। गुल बहार से शादी के आठ साल बाद ही महाराजा रणजीत सिंह की मौत हो गई।