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अतिक्रमण की पहचान, फिर मुकदमा और वसूली; जमाल मोहम्मद के लॉ फर्म पर भड़के मीलॉर्ड, CID जांच

आरोपी जमाल मोहम्मद और उसके लॉ फर्म के खिलाफ ऐक्शन लेते हुए जस्टिस चंदीरा ने कहा कि कानूनी पेशे को एक महान पेशा माना जाता है, न कि कोई व्यवसाय या व्यापार।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, चेन्नईThu, 13 March 2025 03:16 PM
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अतिक्रमण की पहचान, फिर मुकदमा और वसूली; जमाल मोहम्मद के लॉ फर्म पर भड़के मीलॉर्ड, CID जांच

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक लॉ फर्म को अपना विज्ञापन प्रकाशित करना महंगा पड़ गया। मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस के क्राइम ब्रांच के क्राइम इन्वेस्टिगेशन टीम यानी CBCID को इस लॉ फर्म की जांच करने का आदेश दिया है। आरोप है कि फर्म के कर्ता धर्ता ना तो रजिस्टर्ड एडवोकेट है और न ही कानून की डिग्री उसके पास है। हाई कोर्ट ने इस पर गहरी चिंता जताई है कि बिना कानून की पढ़ाई किए कोई व्यक्ति कैसे लॉ फर्म चला सकता है।

जस्टिस एडी जगदीश चंदारिया की बेंच ने उन आरोपों की जांच का भी आदेश दिया है, जिनमें कहा गया है कि आरोपी फर्जी लॉ फर्म और उसके संचालक चेन्नई के मायलापुर में कुछ जमीन से जुड़े संदिग्ध लेनदेन में शामिल हैं। जिस फर्म पर हाई कोर्ट ने एक्शन लिया है, उसका नाम 'जेएमआई लॉ एसोसिएट्स' है। इसे जमाल मोहम्मद इब्राहिम नामक व्यक्ति चला रहा था। वह कथित तौर पर वकील नहीं है, बावजूद इसके लॉ फर्म चला रहा था। इस फर्म से दो अन्य लोग भी जुड़े थे, जिनमें एक वकील प्रीति भास्कर और दूसरा कमलेश चंद्रशेखरन है।

लिंक्डइन पर विज्ञापन

बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस ए.डी. जगदीश चंदीरा लॉ फर्म की उस गलती से भी खफा थे जिसमें फर्म ने नियमित अदालती आदेशों का हवाला देते हुए अपनी सेवाओं का बखान लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किया था और उस पर विज्ञापन चलाए थे। जस्टिस चंदीरा ने इन आरोपों को भी गंभीरता से लिया कि आरोपी लॉ फर्म के संचालक पहले जमीन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा करते फिर भूमि मालिकों की तरफ से कोर्ट में पेश होते और बाद में कथित तौर पर भूमि मालिकों पर ही भूमि छोड़ने का दबाव बनाते और इसके एवज में मोटी रकम की लेन-देन में शामिल होते।

कानूनी पेशा एक महान पेशा: हाई कोर्ट

आरोपी जमाल मोहम्मद और उसके लॉ फर्म के खिलाफ ऐक्शन लेते हुए जस्टिस चंदीरा ने कहा कि कानूनी पेशे को एक महान पेशा माना जाता है, न कि कोई व्यवसाय या व्यापार और वकीलों से पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने कहा, "कानूनी पेशे को न्यायालय की प्रक्रियाओं के दुरुपयोग से मुक्त किया जाना चाहिए। अगर कोई वकील फिलिबस्टर की रणनीति अपनाता है, तो यह भी पेशेवर कदाचार है।" हाई कोर्ट ने कहा कि जेएमआई लॉ एसोसिएट्स और उसके प्रतिनिधियों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों की न केवल तमिलनाडु राज्य बार काउंसिल द्वारा बल्कि सीबी-सीआईडी ​​द्वारा भी गहन जांच की जाएगी।

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हाई कोर्ट ने तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल को भी इस फर्म से जुड़े तीन अधिवक्ताओं - प्रीति भास्कर, मणि भारती और एबेल सेल्वाकुमार और उनके सहयोगियों की डिग्री और लॉ कॉलेज में नामांकन की वास्तविकता की जांच करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, स्टेट बार काउंसिल को यह सत्यापित करने का निर्देश दिया गया है कि क्या जेएमआई लॉ एसोसिएट्स एक लॉ फर्म के रूप में काम करने का हकदार है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस फर्म ने अदालतों या न्यायाधिकरणों में जो वकालतनामा दायर की है, उसकी भी जांच की जाए।

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