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इस बड़ी भारतीय यूनिवर्सिटी में अमेरिकी कोल्ड ड्रिंक बैन, टैरिफ का बढ़ता विरोध

इस बड़ी भारतीय यूनिवर्सिटी में अमेरिकी कोल्ड ड्रिंक बैन, टैरिफ का बढ़ता विरोध

संक्षेप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले 25 फीसदी टैरिफ के ऐलान के समय भी भारत पर रूसी तेल के चलते जुर्माना लगाया था। इसके बाद दूसरी बार 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाने से पहले भी वह भारत पर वॉर मशीन की मदद करने के आरोप लगा चुके हैं।

Thu, 28 Aug 2025 12:26 PMNisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान
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अमेरिका की तरफ से लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का विरोध भारत में जारी है। इसी बीच खबर है कि पंजाब की LPU यानी लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में अमेरिकी सॉफ्ट ड्रिंक्स पर बैन लगा दिया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कुंडा समेत कई अन्य स्थानों पर भी जमकर प्रदर्शन हुए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लगाया गया 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क बुधवार से प्रभावी हो गया है।

LPU के संस्थापक अशोक कुमार मित्तल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह ऐलान किया। खास बात है कि मित्तल आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद भी हैं। उन्होंने सभी भारतीयों से अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मित्तल के कार्यालय की ओर से कहा गया है कि यह फैसला भारतीय सामान पर अमेरिका के अनुचित दोगुने टैरिफ के चलते लिया गया है।

लाइव मिंट के अनुसार, जब पूछा गया कि किन कंपनियों पर बैन लगाया गया है, तो अधिकारी ने बताया कि अभी के लिए कोका कोला और पेप्सी पर बैन है।

आप नेता ने कहा, 'अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस से तेल खरीद रहे हैं। वहीं, भारत को अपने राष्ट्रीय हित आगे रखने के चलते अनुचित ढंग से निशाना बनाया जा रहा है। 40 हजार छात्रों के साथ भारत की सबसे बड़े यूनिवर्सिटी में से एक एलपीयू ने बहिष्कार को तत्काल लागू कर दिया है। इस पहल को देश भर से मिल रहे समर्थन पर मुझे गर्व है।'

उन्होंने कहा, 'एलपीयू में अमेरिकी सॉफ्ट ड्रिंक बैन कर हम साफ संदेश देना चाहते हैं कि भारत अनुचित फरमानों के आगे नहीं झुकेगा।' खास बात है कि मित्तल इससे पहले ट्रंप को पत्र भी लिख चुके हैं, जिसमें टैरिफ में इजाफा करने के फैसले को अनुचित करार दिया गया था।

भारत नहीं करेगा कोई समझौता

पीटीआई भाषा ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि भारत और अमेरिका के बीच शुल्क को लेकर तनाव गहराने के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर जारी वार्ता इस पर निर्भर करेगी कि दोनों पक्ष एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं और ‘सीमाओं’ का किस तरह ध्यान रखते हैं। सूत्रों ने कहा, 'आखिरकार कुछ सीमाएं हैं जिनसे हम समझौता नहीं कर सकते हैं। समझौता इस पर निर्भर करेगा कि दोनों पक्ष इन सीमाओं से किस तरह निपटते हैं। हमारे लिए यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किसानों, मछुआरों और छोटे उत्पादकों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।'

Nisarg Dixit

लेखक के बारे में

Nisarg Dixit
निसर्ग दीक्षित एक डिजिटल क्षेत्र के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनकी राजनीति की गतिशीलता पर गहरी नजर है और वैश्विक और घरेलू राजनीति की जटिलताओं को उजागर करने का जुनून है। निसर्ग ने गहन विश्लेषण, जटिल राजनीतिक कथाओं को सम्मोहक कहानियों में बदलने की प्रतिष्ठा बनाई है। राजनीति के अलावा अपराध रिपोर्टिंग, अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां और खेल भी उनके कार्यक्षेत्र का हिस्सा रहे हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म करने के बाद दैनिक भास्कर के साथ शुरुआत की और इनशॉर्ट्स, न्यूज18 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद लाइव हिन्दुस्तान में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर के तौर पर काम कर रहे हैं। और पढ़ें
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