वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर JPC का गठन, ओवैसी समेत इन 31 सांसदों को मिली जगह
- संसदीय कार्य और अल्पंसख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में यह प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार करने के लिए संसद की संयुक्त समिति का गठन किया है। साथ ही, इसके लिए निचले सदन के 21 सदस्यों को नामित करने और राज्यसभा से 10 सदस्यों को नामित करने वाले प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दी। इस संयुक्त समिति में लोकसभा से जिन 21 सदस्यों को शामिल किया गया है, उनमें भारतीय जनता पार्टी के 8 और कांग्रेस के 3 सांसद शामिल हैं। संसदीय कार्य और अल्पंसख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में यह प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
संयुक्त समिति में भाजपा से जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जयसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय और डीके अरुणा को शामिल किया गया है। कांग्रेस से गौरव गोगाई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद को इस समिति का हिस्सा बनाया गया है। समाजवादी पार्टी के सदस्य मौलाना मोहिबुल्ला नदवी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के ए. राजा, तेलुगू देसम पार्टी (TDP) के लावू श्रीकृष्णा, जनता दल (यूनाइेड) के दिलेश्वर कामत, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के सुरेश गोपीनाथ महत्रे, शिवसेना के नरेश गणपत म्हास्के, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अरुण भारती और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी भी इस समिति में शामिल हैं।
सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस
लोकसभा ने राज्यसभा से अनुशंसा की है कि वह इस संयुक्त समिति के लिए 10 सदस्य का चयन कर निचले सदन को सूचित करे। सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया था, जिसे सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच तीखी चर्चा के बाद संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला हुआ था। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था, 'मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करूंगा।'
संविधान और अल्पसंख्यकों पर हमला
विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया था। उनका कहना था कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड), तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) और शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया था। हालांकि, टीडीपी ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने की पैरवी की थी। विपक्षी सदस्यों की ओर से उठाए गए सवालों का रीजीजू ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विधेयक में किसी की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। साथ ही, संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है
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