
लद्दाख में कैसे खत्म होगा गतिरोध? एलएबी ने बातचीत के लिए गृह मंत्रालय के सामने रख दी शर्त
संक्षेप: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘हम लद्दाख पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति या ऐसे किसी भी मंच के माध्यम से लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ चर्चा का स्वागत करते रहेंगे।’
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र की पहचान को कायम रखने के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपाय करने की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। इसका नेतृत्व कर रहे लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने पुलिस गोलीबारी की न्यायिक जांच शुरू होने और सोनम वांगचुक सहित सभी कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा किए जाने तक बातचीत में शामिल नहीं होने की घोषणा की। एलएबी के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग और सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने कहा कि बातचीत फिर से शुरू करने से पहले लद्दाख में अनुकूल माहौल की बहाली आवश्यक है। एलएबी ने 4 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद अपना रुख कड़ा कर लिया है।

एलएबी ने कहा कि अगर सरकार सु्प्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच का आदेश देने और सभी कैदियों को रिहा करने की मांगें मान लेती है तो वह बैठक में शामिल नहीं होने के अपने फैसले पर विचार करेगी और 6 अक्टूबर को वार्ता में शामिल होगी। दोनों नेताओं ने कहा, ‘हम गृह मंत्रालय और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से आग्रह करेंगे कि वे वहां व्याप्त भय, गम और आक्रोश के माहौल को दूर करने के लिए कदम उठाएं।’ बातचीत का बहिष्कार करने की घोषणा प्रदर्शन में हुई हिंसा के दौरान मारे गए चौथे मृतक का कर्फ्यूग्रस्त लद्दाख की राजधानी में भारी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार किए जाने के कुछ घंटों बाद की गई। मृतक पूर्व सैनिक था।
बातचीत को लेकर गृह मंत्रालय का क्या है रुख?
गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि सरकार लद्दाख मामलों पर एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। इसमें कहा गया, ‘हम लद्दाख पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति या ऐसे किसी भी मंच के माध्यम से लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ चर्चा का स्वागत करते रहेंगे।’ बयान में क्षेत्र में विकास और रोजगार लाने वाले पिछले नतीजों की ओर इशारा किया गया। इसके मुताबिक, लद्दाख को लेकर संवाद करने के लिए गठित तंत्र से अब तक अच्छे परिणाम मिले हैं, जैसे लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में वृद्धि, एलएएचडीसी में महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान करना और स्थानीय भाषाओं को संरक्षण प्रदान करना। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 1800 सरकारी पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। हमें विश्वास है कि निरंतर बातचीत से निकट भविष्य में सही नतीजे हासिल होंगे।





