मान गए डॉक्टर, इमरजेंसी ड्यूटी पर लौटने का ऐलान; कोलकाता केस पर बड़ा अपडेट
- आंदोलनकारी डॉक्टरों ने कहा कि शनिवार से बंगाल के सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन, आवश्यक सेवाएं आंशिक रूप से बहाल होंगी। बंगाल में बाढ़ प्रभावित लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर मामले के बाद प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया है। डॉक्टर्स शनिवार से काम पर वापस लौटेंगे। हालांकि, अभी इमरजेंसी सेवाएं ही खुलेंगी, जबकि ओपीडी सेवाएं चालू नहीं होंगी। जूनियर डॉक्टर्स 9 अगस्त की रेप की घटना के बाद से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार से कोलकाता पुलिस कमिश्नर को हटाए जाने समेत पांच मांगें रखी थीं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद डॉक्टर्स की ज्यादातर मांगों को मान लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए डॉक्टर्स से काम पर वापस लौटने के लिए कहा था।
आंदोलनकारी डॉक्टरों ने कहा, "शनिवार से बंगाल के सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन, आवश्यक सेवाएं आंशिक रूप से बहाल होंगी। बंगाल में बाढ़ प्रभावित लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।" उन्होंने कहा, "न्याय के लिए हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।" प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में से एक डॉ. अकीब ने कहा कि वे विरोध को अलग तरीके से लेंगे। विरोध के 41वें दिन, उन्होंने कहा, ''पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट यह कहना चाहता है कि हमने अपने आंदोलन के दौरान बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन कई चीजें अभी भी हासिल नहीं हुई हैं... हमने कोलकाता के पुलिस आयुक्त और डीएमई, डीएचएस को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आंदोलन खत्म हो गया है। हम इसे नए तरीके से आगे बढ़ाएंगे।" अकीब ने कहा, "हम अभी भी मांग करते हैं कि प्रमुख सचिव को हटाया जाए।''
गुरुवार को ही पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा और कुशल कामकाज पर निर्देशों की एक सूची जारी करते हुए कहा है कि इन्हें तुरंत लागू करने की जरूरत है। ये निर्देश सरकार द्वारा इन्हीं मुद्दों पर आंदोलनरत कनिष्ठ चिकित्सकों के साथ बैठक के एक दिन बाद जारी किए गए हैं। मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) एन एस निगम को भेजे गए दो पृष्ठों के पत्र में, ''स्वास्थ्य केंद्रों में ड्यूटी कक्ष, शौचालय, सीसीटीवी, पेयजल सुविधाओं की पर्याप्त उपलब्धता की आवश्यकता का उल्लेख किया गया है।''
जारी किए गए 10 निर्देशों में से एक में कहा गया है कि इस संबंध में कार्य यथाशीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। यह निर्देश कनिष्ठ चिकित्सकों द्वारा पंत को कल रात पश्चिम बंगाल सरकार के साथ हुई बैठक के मुख्य बिंदुओं का मसौदा सौंपे जाने के कुछ घंटों बाद आया है। इसमें यह भी कहा गया है कि राज्य ने सभी चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों की सुरक्षा ऑडिट करने के लिए पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुरजीत कर पुरकायस्थ को नियुक्त किया है। निर्देश के अनुसार, सभी निर्देशों को तुरंत लागू किया जाना चाहिए।
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का रजिस्ट्रेशन भी रद्द
वहीं, पश्चिम बंगाल चिकित्सा परिषद (डब्ल्यूबीएमसी) ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पंजीकरण रद्द कर दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। घोष, आरजीकर अस्पताल में महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से कथित दुष्कर्म के बाद हत्या के मामलें में इस समय केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं। डब्ल्यूबीएमसी द्वारा तैयार की जाने वाली पंजीकृत चिकित्सकों की सूची से घोष का नाम हटा दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि घोष का लाइसेंस बंगाल चिकित्सा अधिनियम 1914 के विभिन्न प्रावधानों के तहत रद्द किया गया। उन्होंने बताया कि घोष ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं और बिना लाइसेंस वह इलाज नहीं कर सकेंगे। घोष को दो सितंबर को सीबीआई ने अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं में कथित संलिप्तता के मामले में गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी ड्यूटी पर तैनात महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के विरोध के बाद हुई। बाद में उन पर मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप भी लगाया गया।
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