क्या है जेड-मोड़ प्रोजेक्ट जहां आतंकियों ने बहाया खून, कितनी अहम है यह टनल?
आतंकियों ने जेड-मोड़ प्रोजेक्ट के मजदूरों को गोलियों से निशाना बनाया है। आइए जानते हैं यह टनल कितनी अहम है। आखिर क्यों यह आतंकियों की आंख में चुभ रही है…
जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले में रविवार शाम को हुए आतंकी हमले में सात लोगों की मौत हो गई। इस हमले में श्रीनगर-सोनमर्ग हाइवे पर बन रही 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोड़ सुरंग का काम कर रहे मजदूरों को निशाना बनाया गया। यह परियोजना एपीसीओ इंफ्राटेक कंपनी द्वारा चलाई जा रही है। जम्मू-कश्मीर के लिए यह प्रोजेक्ट बेहद अहम है। यह पहली बार है जब जम्मू कश्मीर में किसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को निशाना बनाया गया। आइए जानते हैं आखिर क्या है जेड-मोड़ टनल और क्या है इसका महत्व...
क्या है यह टनल
जेड-मोढ़ टनल सोनमर्ग हेल्थ रिसॉर्ट से मध्य कश्मीर के गांदरबल जिला स्थित कंगन कस्बे को जोड़ेगी। इस टनल को सोनमर्ग से आगे गगनगीर गांव के पास तैयार किया जा रहा है। इस टनल के बन जाने के बाद हर मौसम में श्रीनगर-लेह हाईवे स्थित मशहूर टूरिस्ट स्थल सोनमर्ग जाया जा सकेगा। इसके जेड शेप के आकर और जिस स्थान पर यह बन रही है, दोनों को मिलाकर इसका नाम जेड-मोढ़ टनल रखा गया है।
इस टनल की जरूरत क्यों
जिस जगह पर यह टनल बनाई जा रही है वह 8500 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है। ठंड के दिनों में यहां पर अक्सर बर्फीला तूफान आता रहता है। ऐसे में सोनमर्ग तक जाने वाला रास्ता ठंड के दिनों में अक्सर बंद रहता है। यह टनल बन जाने के बाद किसी भी मौसम में सोनमर्ग तक जाया जा सकेगा।
कब तक होगा पूरा
टनल प्रोजेक्ट का आइडिया 2012 में बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन लेकर आया था। तब टनलवे लिमिटेड को इसे बनाने की जिम्मेदारी दी गई। बाद में एनएचआईडीसील ने इस प्रोजेक्ट को टेकओवर कर लिया। एनएचआईडीसील ने इसका फिर से टेंडर किया और यह काम एपीसीओ इंफ्राटेक को मिल गया। इस प्रोजेक्ट के अगस्त 2023 तक पूरा हो जाने की उम्मीद थी, लेकिन यह डिले हो गया। इस साल फरवरी में इसे खोला गया था, लेकिन इसका औपचारिक उद्धाटन जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान लगी आचार संहिता के चलते टल गया।
टनल का रणनीतिक महत्व क्या
टनल के बन जाने के बाद सोनमर्ग हेल्थ रिसॉर्ट तक हर मौसम में पहुंचना आसान हो जाएगा। इसके अलावा लद्दाख से भी हर मौसम में कनेक्टिविटी रहेगी। सेना के लिए यह टनल काफी महत्वपूर्ण होने वाली है। इसकी बदौलत लद्दाख से जुड़े सीमाई इलाकों तक सेना आसानी से पहुंच जाएगी। गौरतलब है कि सोनमर्ग को लद्दाख में द्रास से जोड़ने वाली लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर ज़ोजिला सुरंग का निर्माण चल रहा है। इसके दिसंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
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