Hindi NewsIndia Newskerala high court acquitted a man convicted of rape and murder of 60 year old widow
कोर्ट ने पलटी मौत की सजा, बेटे की गवाही नहीं मानी, बूढ़ी विधवा के रेप और मर्डर का दोषी बरी

कोर्ट ने पलटी मौत की सजा, बेटे की गवाही नहीं मानी, बूढ़ी विधवा के रेप और मर्डर का दोषी बरी

संक्षेप: पीड़िता के रिश्तेदार के बयान के आधार पर FIR दर्ज की गई थी। रिश्तेदार का कहना था कि जब वह घर पहुंचा, तो पीड़िता के बेटे ने बताया कि मुन्ना (परिमल) ने उसकी मां के सिर पर पत्थर मारा, कमरे में घसीट कर ले गया और वहां उसपर हमला किया।

Mon, 3 Nov 2025 12:36 PMNisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान
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बुजुर्ग महिला के बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा काट रहे शख्स को केरल हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि पीड़िता के मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे की तरफ से सबूत दिया गया था, जिसपर अभियोजन पक्ष काफी निर्भर था। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का बेटा गवाही देने में सक्षम नहीं था और ऐसे में इस सबूत को शामिल नहीं किया जा सकता।

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साल 2018 में परिमल साहू को ट्रायल कोर्ट ने 60 साल की विधवा के बलात्कार और हत्याकांड में दोषी पाया था। अभियोजन पक्ष का कहना है कि परिमल ने बुजुर्ग महिला को बेरहमी से पीटा, रेप किया और फिर हत्या कर दी थी। वारदात के समय पीड़िता अपने बेटे के साथ रह रही थी। जबकि, परिमल पीड़िता के घर के पास उसी परिसर में रहता था।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के रिश्तेदार के बयान के आधार पर FIR दर्ज की गई थी। रिश्तेदार का कहना था कि जब वह घर पहुंचा, तो पीड़िता के बेटे ने बताया कि मुन्ना (परिमल) ने उसकी मां के सिर पर पत्थर मारा, कमरे में घसीट कर ले गया और वहां उसपर हमला किया। रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजन पक्ष का मामला मुख्य रूप से बेटे की गवाही पर आधारित था।

कोर्ट ने पाया कि डॉक्टर ने कहा है कि बेटे की मानसिक उम्र साढ़े सात साल है। जबकि, उसकी उम्र 35 साल है। इसके बाद भी ट्रायल कोर्ट ने voir dire टेस्ट नहीं कराया। कोर्ट ने कहा, 'voir dire टेस्ट का नहीं कराया जाना PW4 (बेटे) के गवाही के देने की क्षमता और विश्वसनीयता के बारे में गंभीर संदेह पैदा करता है। खासतौर से तब जब PW4 जैसे गवाहों को सिखाया पढ़ाया जा सकता है।'

हालांकि, कोर्ट ने यह साफ किया है कि voir dire टेस्ट का नहीं होना गवाही को खारिज करने के लिए हमेशा पर्याप्त कारण नहीं होता, लेकिन ट्रायल कोर्ट और अपील कोर्ट की जिम्मेदारी है कि गवाही की सावधानी से जांच करें। इस मामले में कोर्ट ने पाया कि पीड़िता का बेटा मुख्य परीक्षा में गवाही देने में सक्षम था, लेकिन क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान वह साधारण सवालों के भी ठीक जवाब नहीं दे सका। कोर्ट ने कहा कि इससे संकेत मिलते हैं कि बेटे को सिखाया गया है।

अभियोजन पक्ष का दावा है कि परिमल के हाथों पर बचाव के जख्मों के निशान थे, जो संकेत देते हैं कि पीड़िता ने संघर्ष किया होगा। कोर्ट ने पाया कि पीड़िता पर परिमल के कोई स्किन सेल नहीं मिले और जुटाए गए अन्य सबूत भी डीएनए टेस्टिंग के लिए पर्याप्त नहीं है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एके जयशंकरन नाम्बियार और जस्टिस जोबिन सेबेस्टियन ने परिमल को बरी कर दिया।

Nisarg Dixit

लेखक के बारे में

Nisarg Dixit
निसर्ग दीक्षित एक डिजिटल क्षेत्र के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनकी राजनीति की गतिशीलता पर गहरी नजर है और वैश्विक और घरेलू राजनीति की जटिलताओं को उजागर करने का जुनून है। निसर्ग ने गहन विश्लेषण, जटिल राजनीतिक कथाओं को सम्मोहक कहानियों में बदलने की प्रतिष्ठा बनाई है। राजनीति के अलावा अपराध रिपोर्टिंग, अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां और खेल भी उनके कार्यक्षेत्र का हिस्सा रहे हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म करने के बाद दैनिक भास्कर के साथ शुरुआत की और इनशॉर्ट्स, न्यूज18 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद लाइव हिन्दुस्तान में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर के तौर पर काम कर रहे हैं। और पढ़ें
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