
बाढ़ प्रभावित वायनाड को मदद नहीं करनी है तो साफ-साफ बताए केंद्र; केरल HC ने फटकारा
संक्षेप: हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक बैंकों को ऋण वसूली की सभी कार्यवाहियों को तुरंत रोकना होगा। उन्होंने कहा, “हम उन बैंकों को इस मामले में पक्षकार बनाएंगे।
केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को वायनाड बाढ़ और भूस्खलन पीड़ितों के लिए कर्ज माफी से इनकार करने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार ने केरल के लोगों को निराश किया है और यह संवेदनहीन नौकरशाही रवैया है। न्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरण नाम्बियार और जस्टिस जोबिन सेबास्टियन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “कृपया केंद्र सरकार से कहिए कि उसने केरल के लोगों को विफल किया है। यह कोई ऐसी स्थिति नहीं है जहां केंद्र असहाय हो। आपकी दलीलें सिर्फ ‘हम कुछ नहीं कर सकते’ की आड़ में छिपने का प्रयास हैं।”

केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के बैंक कर्ज माफ करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “यह सिर्फ नौकरशाही की बकवास है। सवाल यह नहीं है कि केंद्र के पास अधिकार है या नहीं, बल्कि यह है कि वे मदद करना चाहते हैं या नहीं। अगर नहीं करना चाहते हैं तो साफ-साफ कहें। झूठी तकनीकी दलीलों के पीछे मत छिपिए।”
अदालत ने कहा कि केरल को केंद्र की चैरिटी की आवश्यकता नहीं है। जस्टिस नाम्बियार ने कहा, “हमें केंद्र सरकार की दया नहीं चाहिए। हमारी संवैधानिक मर्यादा हमें शक्ति देती है कि हम अपने अधिकारों का सम्मानपूर्वक उपयोग करें। हम केंद्र को आदेश नहीं देंगे। यह हमारा बड़प्पन है, न कि कमजोरी।”
खंडपीठ ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने असम और गुजरात में आई बाढ़ के लिए भारी मात्रा में आर्थिक सहायता स्वीकृत की है। इन दोनों राज्यों की आपदाएं गंभीर श्रेणी में भी नहीं थीं। अदालत ने पूछ- “केंद्र ने वहां बड़ी राशि दी, लेकिन वायनाड जैसी त्रासदी में मदद से इनकार कर दिया। क्या केरल केंद्र इस देश का हिस्सा नहीं है?”
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक बैंकों को ऋण वसूली की सभी कार्यवाहियों को तुरंत रोकना होगा। उन्होंने कहा, “हम उन बैंकों को इस मामले में पक्षकार बनाएंगे। उन्हें नोटिस जारी की जाएगी। जब तक वे जवाब नहीं देते, किसी भी तरह की वसूली पर रोक रहेगी।”
अदालत ने यह भी कहा कि बैंक यह स्पष्ट करें कि वे आंशिक या पूर्ण कर्ज माफी देने को तैयार हैं या नहीं। यदि नहीं हैं, तो इसका कारण बताएं।
2024 में वायनाड जिले में आए भूस्खलनों में सैकड़ों लोगों की जान गई थी और हजारों घर नष्ट हो गए थे। प्रभावित लोगों में से कई किसानों और छोटे व्यवसायियों ने बैंकों से कर्ज लिया था, जो अब चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है। अदालत ने संकेत दिया कि वह राज्य सरकार के राहत कार्यों की निगरानी जारी रखेगी, लेकिन केंद्र सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं रखती।





