SIR के खिलाफ अड़ गया यह राज्य, विधानसभा में प्रस्ताव पास; किस बात पर आपत्ति
संक्षेप: मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, ‘चिंता इस बात की है कि निर्वाचन आयोग का SIR वाला कदम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लागू करने का प्रयास है। बिहार में हाल ही में हुए एसआईआर प्रक्रिया से ऐसी चिंताएं पुष्ट होती हैं।’
केरल विधानसभा में निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य में विशेष गहन संशोधन (SIR) कराने के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ। इसमें मतदाता सूची का संशोधन पारदर्शी तरीके से कराने की मांग की गई है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने पहले ही एसआईआर के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्तियां जताई थीं। इसने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की ओर से सदन में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया। इसमें सीएम ने चुनाव आयोग की ओर से SIR को लागू करने की जल्दबाजी पर सदन की चिंताओं को जाहिर किया है। उनके इस कदम के पीछे दुर्भावनापूर्ण इरादे पर संदेह जताया है।

पिनराई विजयन ने कहा, 'चिंता इस बात की है कि निर्वाचन आयोग का SIR वाला कदम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लागू करने का प्रयास है। बिहार में हाल ही में हुए एसआईआर प्रक्रिया से ऐसी चिंताएं पुष्ट होती हैं। यह कदम बहिष्कार करने की राजनीति को दर्शाता है।' सीएम विजयन ने आरोप लगाया कि बिहार में लागू SIR में मतदाता सूची से लोगों को तर्कहीन ढंग से बाहर किया गया। पूरे देश में संदेह है कि क्या यही पैटर्न राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा रहा है।
माकपा ने NRC लागू करने का बताया प्रयास
माक्सर्वादी कम्युनिस्ट पार्टी की केरल इकाई के सचिव एमवी गोविंदन ने SIR को लेकर बीते दिनों बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों से पहले केरल में मतदाता सूची का एसआईआर करने कदम अव्यावहारिक है। इसका सभी वर्गों की ओर से कड़ा विरोध किया जाएगा। गोविंदन ने कहा कि बिहार में SIR के खिलाफ विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अब तक अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है। उन्होंने कहा, ‘केरल में एसआईआर के साथ जल्दबाजी में आगे बढ़ना भी न्यायालय की अवमानना के समान है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि ईसी की मदद और एसआईआर प्रक्रिया से केंद्र सरकार एनआरसी लाने का प्रयास कर रही है।





