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इतिहास की किताब में अकबर को सिर्फ तानाशाह और कातिल बताया, बदलाव पर भड़के जस्टिस नरीमन

इतिहास की किताब में अकबर को सिर्फ तानाशाह और कातिल बताया, बदलाव पर भड़के जस्टिस नरीमन

संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस नरीमन रोहिंटन ने कहा, 'अदालत के पास ऐसी कोई विशेषज्ञता नहीं है। इसके लिए वे पैनल बना सकती हैं, जो बताए कि हमारा वास्तविक इतिहास क्या है। लेकिन यह बात सही है कि बचाव करना जरूरी है।' 

Fri, 19 Sep 2025 09:43 AMSurya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने इतिहास की किताबों में बदलाव को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि मैंने एक बच्चे की इतिहास की किताब देखी तो दंग रह गया। उस किताब में अकबर को सिर्फ एक क्रूर तानाशाह और बड़े पैमाने पर लोगों को कत्ल कराने वाला बताया गया है। अकबर और मुगल वंश का क्या योगदान है, उसके बारे में सारी चीजें मिटा दी गई हैं। अब इतिहास की किताबों में उनके बारे में कोई जगह नहीं है। यही नहीं उन्होंने आम लोगों को सलाह दी कि वे ऐसे मामलों में अदालत का रुख कर सकते हैं।

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जस्टिस नरीमन ने कहा, 'भाईचारे की बात करना ठीक है, लेकिन जब इतिहास की किताबों में उदाहरणों को तोड़ा-मरोड़ा जाता है तो क्या होता है? आज हम अपने सबसे महान सम्राटों में से एक अशोक के साथ अकबर के बारे में चर्चा कर रहे थे। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब एक बच्चे ने एक किताब से पढ़कर सुनाया कि उसमें अकबर को अत्याचारी और चित्तौड़ में सामूहिक हत्याएं कराने वाला बताया गया। चित्तौड़ में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने जौहर कर लिया था। इस तरह अकबर के बारे में लिखा गया है, लेकिन उसका योगदान क्या रहा है, उसे मिटा दिया गया। किसी भी मुगल के बारे में नहीं लिखा गया कि उनका योगदान क्या था।'

उन्होंने कहा कि ऐसी चीजों का एक समाधान यह भी हो सकता है कि नागरिक अदालतों का रुख करें। भारत की महान सभ्यता और विरासत का संरक्षण करना जरूरी है और यह संविधान के आर्टिकल 51A के तहत हमारा कर्तव्य है। इसलिए जब इतिहास को इस तरह से पेश किया जाता है तो वह विरासत और संस्कृति के साथ छेड़छाड़ ही है। उन्होंने कहा कि यह कर्तव्य है और यदि इसका कोई पालन नहीं करता है तो देश का नागरिक अदालत का रुख कर सकता है। उन्होंने कहा कि हर कर्तव्य के मामले में ऐसा नहीं हो सकता, लेकिन यहां तो मामला भाईचारा खत्म करने की कोशिश का है, जिसके तहत भारत की संस्कृति का संरक्षण नहीं किया जाता।

जस्टिस नरीमन ने कहा कि यह बात सही है कि अदालतों के पास ऐसी कोई विशेषज्ञता नहीं है कि वे इतिहास की किताबों पर फैसला लें। लेकिन उनकी ओर से एक्सपर्ट्स का पैनल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'अदालत के पास ऐसी कोई विशेषज्ञता नहीं है। इसके लिए वे पैनल बना सकती हैं, जो बताए कि हमारा वास्तविक इतिहास क्या है। लेकिन यह बात सही है कि बचाव करना जरूरी है।' जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने केरल में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही।

Surya Prakash

लेखक के बारे में

Surya Prakash
दुनियादारी में रुचि पत्रकारिता की ओर खींच लाई। समकालीन राजनीति पर लिखने के अलावा सामरिक मामलों, रणनीतिक संचार और सभ्यतागत प्रश्नों के अध्ययन में रुचि रखते हैं। करियर की शुरुआत प्रिंट माध्यम से करते हुए बीते करीब एक दशक से डिजिटल मीडिया में हैं। फिलहाल लाइव हिन्दुस्तान में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क के इंचार्ज हैं। और पढ़ें
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