Hindi NewsIndia NewsJudicial officers who have practised law for 7 years can become district judges SC reverses decision
7 साल वकालत करने वाले न्यायिक अधिकारी बन पाएंगे जिला जज, SC ने पलटा फैसला

7 साल वकालत करने वाले न्यायिक अधिकारी बन पाएंगे जिला जज, SC ने पलटा फैसला

संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे तीन महीने के भीतर अपने सेवा नियमों में संशोधन करें, ताकि न्यायिक अधिकारियों को जिला न्यायाधीश भर्ती परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी जा सके।

Thu, 9 Oct 2025 01:52 PMHimanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसे न्यायिक अधिकारी जिन्होंने सात साल की वकालत पूरी कर ली है, वे अब बार कोटा के तहत जिला न्यायाधीश (District Judge) बन सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह निर्णय देते हुए साफ कहा कि पात्रता की गणना आवेदन की तिथि पर होगी और न्यायिक अधिकारी एवं वकील के रूप में संयुक्त अनुभव को सात वर्ष की आवश्यक योग्यता में जोड़ा जा सकेगा।

पीठ ने वर्ष 2020 के धीरज मोर के मामले में सुनाए गए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। हाईकोर्ट के फैसले में यह कहा गया था कि सेवारत न्यायिक अधिकारी बार कोटा के तहत जिला जज की नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट की नई व्याख्या ने उस व्यवस्था को खत्म करते हुए कहा कि संविधान की व्याख्या ‘जीवंत और व्यावहारिक’ होनी चाहिए। यानी बदलते समय और परिस्थितियों के अनुसार इसे बदलना चाहिए।

यह मामला संविधान के अनुच्छेद 233 की व्याख्या से जुड़ा था, जो जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कई ऐसे न्यायिक अधिकारी हैं जिन्होंने सेवा में आने से पहले सात साल तक वकालत की, परंतु पुराने फैसले के चलते उन्हें बार कोटा से वंचित रखा गया। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने इन दलीलों पर तीन दिन तक सुनवाई की थी और 25 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के अलावा संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश, अरविंद कुमार, एस. सी. शर्मा और के. विनोद चंद्रन शामिल थे।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे तीन महीने के भीतर अपने सेवा नियमों में संशोधन करें, ताकि न्यायिक अधिकारियों को जिला न्यायाधीश भर्ती परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी जा सके। इसके साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सेवारत उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए, जिससे सभी आवेदकों के बीच समान अवसर सुनिश्चित हो सके।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “संविधान की व्याख्या करते समय हमें उसकी आत्मा और उद्देश्य को ध्यान में रखना चाहिए। इसे कठोर और यांत्रिक तरीके से नहीं पढ़ा जा सकता।”

यह फैसला उन सैकड़ों न्यायिक अधिकारियों के लिए राहत लेकर आया है जो अब तक बार कोटा के अंतर्गत आवेदन करने के पात्र नहीं माने जाते थे।

Himanshu Jha

लेखक के बारे में

Himanshu Jha
कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट हिमांशु शेखर झा करीब 9 वर्षों से बतौर डिजिटल मीडिया पत्रकार अपनी सेवा दे रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा राष्ट्रीय राजनीति पर अच्छी पकड़ है। दिसंबर 2019 में लाइव हिन्दुस्तान के साथ जुड़े। इससे पहले दैनिक भास्कर, न्यूज-18 और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में भी काम कर चुके हैं। हिमांशु बिहार के दरभंगा जिला के निवासी हैं। और पढ़ें
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