
टैरिफ अटैक के बीच RIC वाली गोलबंदी तेज, जयशंकर जाएंगे रूस और भारत आएंगे चीनी विदेश मंत्री
संक्षेप: अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद और बढ़ते वैश्विक तनाव के बीच भारत, रूस और चीन का मंच RIC फिर सक्रिय हो रहा है। एस जयशंकर रूस जाने वाले हैं तो चीनी विदेश मंत्री अगले हफ्ते भारत आएंगे।
डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद भारत तेजी से पलटवार कर रहा है। अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारत ने रूस और चीन के साथ मिलकर RIC की गोलबंदी तेज कर दी है। रूस-भारत-चीन (RIC) मंच एक बार फिर सक्रिय हो रहा है और घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने रूस की यात्रा पर जाएंगे, जबकि चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त को भारत दौरे पर आने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि भारत, RIC को एक मंच पर लाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
फिर चर्चा में RIC
सूत्रों के मुताबिक, रूस ने भी RIC त्रिपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। वहीं, चीन ने इस पहल का खुले तौर पर स्वागत किया है। भारत ने भी इस पर ‘सावधानीपूर्ण लेकिन सकारात्मक’ रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। जानकारों का मानना है कि यह कदम अमेरिका और पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव के बीच एक रणनीतिक संतुलन साधने की कोशिश है।
जयशंकर की रूस यात्रा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने के अंत में रूस की यात्रा पर जाएंगे। इस दौरे में ऊर्जा सहयोग, रक्षा साझेदारी और व्यापार को लेकर महत्वपूर्ण वार्ता होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी इसी महीने रूस जा सकते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद और मजबूत होगा।
चीन के विदेश मंत्री का भारत दौरा
चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त को नई दिल्ली पहुंचेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच सीमा विवाद, व्यापार संबंध और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होगी। यह वार्ता शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की आगामी बैठक से पहले हो रही है, जिससे इसे और महत्व मिल गया है।
गौरतलब है कि हाल के हफ्तों में अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ विवाद तेज हो गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने का ऐलान किया है, जो 27 अगस्त से लागू होने वाले हैं। जवाब में भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के संकेत दिए हैं। ऐसे माहौल में रूस और चीन के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियां, क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति संतुलन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।





