इजरायल ने हम पर हमला किया, भारत इसकी निंदा करे; मित्र देश से ईरान की खास अपील
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के उस बयान से खुद को अलग कर लिया, जिसमें इजरायल के हमलों की निंदा की गई थी। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत ने इस बयान पर चर्चा में भाग नहीं लिया। जानिए क्या बोला भारत?

ईरान ने भारत और अन्य मित्र देशों से इजरायल के सैन्य हमलों की निंदा करने की अपील की है। उसने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है, और क्षेत्रीय तेल आपूर्ति पर संभावित खतरे की आशंका बढ़ रही है। ईरानी दूतावास में मिशन के उप प्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने यह भी आशा व्यक्त की कि पाकिस्तान ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे ईरान के हितों को नुकसान पहुंचे।
पाकिस्तान पर उनकी प्रतिक्रिया तब आई जब प्रेसवार्ता में उनसे पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर की बुधवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई बैठक के बारे में पूछा गया। ऐसी अटकलें हैं कि वाशिंगटन तेहरान पर हमला करने का फैसला करने की स्थिति में पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है।
हुसैनी ने यह भी कहा कि भारत ‘ग्लोबल साउथ’ का अगुवा है और ईरान को उम्मीद है कि एक संप्रभु देश पर हमला कर अंतरराष्ट्रीय कानून का ‘‘उल्लंघन’’ करने वाली इजराइली कार्रवाई की नयी दिल्ली निंदा करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि भारत सहित हर देश को इसकी (इजराइली सैन्य कार्रवाई की) निंदा करनी चाहिए, ईरान के साथ उनके संबंधों के कारण नहीं बल्कि इसलिए कि यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।’’
पिछले एक सप्ताह से इजरायल और ईरान के बीच सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन हमले हो रहे हैं, जिनमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के शहरों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायली हमलों में कम से कम 224 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक हैं, जबकि इजरायल ने दावा किया है कि ईरानी हमलों में 24 लोगों की मौत हुई है।
भारत ने इस तनाव पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है और स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "हम इजरायल और ईरान के बीच हाल के घटनाक्रमों से गंभीर रूप से चिंतित हैं और स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक रास्ते पर लौटने का आग्रह करते हैं।"
हालांकि, भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के उस बयान से खुद को अलग कर लिया, जिसमें इजरायल के हमलों की निंदा की गई थी। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत ने इस बयान पर चर्चा में भाग नहीं लिया और वह संवाद और कूटनीति के माध्यम से डी-एस्केलेशन की वकालत करता है।
इस बीच, क्षेत्रीय तनाव के कारण होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की संभावना पर सवाल उठे हैं, जहां से विश्व की लगभग 30 प्रतिशत तेल आपूर्ति होती है। होसैनी ने इस पर सीधा जवाब देने से परहेज किया, लेकिन कहा कि ईरान के पास कई विकल्प हैं और स्थिति के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
(इनपुट एजेंस)