Indian Climber Dies On Mount Everest as he Refused To Descend 'नीचे ही नहीं उतर रहे थे', माउंट एवरेस्ट पर भारतीय पर्वतारोही की मौत; इस सीजन पहली बार हुआ ऐसा, India News in Hindi - Hindustan
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'नीचे ही नहीं उतर रहे थे', माउंट एवरेस्ट पर भारतीय पर्वतारोही की मौत; इस सीजन पहली बार हुआ ऐसा

पिछले 100 वर्षों में एवरेस्ट पर कम से कम 345 लोगों की मौत हो चुकी है। खराब मौसम, ऑक्सीजन की कमी, और अत्यधिक थकान इस पर्वत पर सबसे बड़े खतरे हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, काठममांडुFri, 16 May 2025 01:35 PM
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'नीचे ही नहीं उतर रहे थे', माउंट एवरेस्ट पर भारतीय पर्वतारोही की मौत; इस सीजन पहली बार हुआ ऐसा

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर मौजूदा मार्च-मई पर्वतारोहण सीजन के दौरान दो पर्वतारोहियों की मौत की पुष्टि हुई है। इन मृतकों में एक भारत से और दूसरा फिलीपींस से था। यह जानकारी शुक्रवार को नेपाल के पर्वतारोहण अधिकारियों ने दी।

45 वर्षीय भारतीय पर्वतारोही सुब्रत घोष ने एवरेस्ट के 8,849 मीटर (29,032 फीट) ऊंचे शिखर को सफलतापूर्वक फतह तो किया, लेकिन गुरुवार को हिलेरी स्टेप के नीचे लौटते समय उनकी मौत हो गई।

नेपाल के स्नोई होराइजन ट्रेक्स एंड एक्सपेडिशन कंपनी के आयोजक बोधराज भंडारी ने बताया, “वह हिलेरी स्टेप से नीचे आने के लिए तैयार नहीं थे। वहीं उनकी मौत हो गई। उनके शव को बेस कैंप तक लाने का प्रयास किया जा रहा है। मौत का कारण पोस्टमॉर्टम के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।”

हिलेरी स्टेप को ‘डेथ जोन’ भी कहा जाता है। यह 8,000 मीटर (26,250 फीट) से ऊपर का इलाका है। यहां प्राकृतिक ऑक्सीजन का स्तर इंसान के जीवित रहने के लिए पर्याप्त नहीं होता।

दूसरी ओर, फिलीपींस के 45 वर्षीय पर्वतारोही फिलीप II सैंटियागो की मौत बुधवार देर रात साउथ कोल में हुई। नेपाल पर्यटन विभाग के अधिकारी हिमाल गौतम ने बताया कि “वह चौथे उच्च शिविर (हाई कैंप) तक पहुंचे, लेकिन अत्यधिक थकान के कारण जब वह अपने टेंट में आराम कर रहे थे, तभी उनकी मृत्यु हो गई।”

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दोनों पर्वतारोही एक ही अंतरराष्ट्रीय अभियान दल का हिस्सा थे, जिसका आयोजन बोधराज भंडारी द्वारा किया गया था। नेपाल ने इस सीजन के लिए 459 पर्वतारोहण परमिट जारी किए हैं। इस हफ्ते लगभग 100 पर्वतारोही और उनके गाइड पहले ही शिखर तक पहुंच चुके हैं।

गौरतलब है कि पर्वतारोहण, ट्रेकिंग और पर्यटन नेपाल के लिए प्रमुख आय और रोजगार के स्रोत हैं। यह देश आर्थिक रूप से अभी भी दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है। हिमालयन डाटाबेस और पर्वतारोहण अधिकारियों के अनुसार, पिछले 100 वर्षों में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान अब तक कम से कम 345 लोगों की जान जा चुकी है। खराब मौसम, ऑक्सीजन की कमी, और अत्यधिक थकान इस पर्वत पर सबसे बड़े खतरे हैं। गुरुवार को अचानक मौसम खराब होने की वजह से कई पर्वतारोहियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।