इतिहास रचने के बेहद करीब एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला की उड़ान टली, क्या रही वजह
भारत की तरफ से इतिहास रचने के बेहद करीब अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की आईएसएस के लिए उड़ान फिलहाल टल गई है। इसरो ने इसके पीछे की वजह का भी खुलासा किया है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे भारतीय वायुसेना के शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान को टाल दिया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को जानकारी दी कि Axiom-4 (Ax-4) मिशन की लॉन्चिंग अब 10 जून के बजाय 11 जून को होगी। इसरो उड़ान टालने के पीछे की वजह भी बताई है।
उड़ान टलने की क्या वजह
इस बदलाव की वजह मौसम की खराब स्थिति बताई गई है। ISRO ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मौसम की परिस्थितियों के कारण भारतीय गगनयात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजने के लिए Axiom-4 मिशन का प्रक्षेपण 10 जून से स्थगित कर 11 जून कर दिया गया है। अब यह मिशन 11 जून को शाम 5:30 बजे (IST) लॉन्च होगा।”
41 साल बाद अंतरिक्ष में नया अध्याय
शुभांशु शुक्ला इस मिशन के साथ भारत के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह भारत का दूसरा मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत रूस के Soyuz यान से उड़ान भरी थी। शुभांशु शुक्ला SpaceX के Falcon-9 रॉकेट से उड़ान भरेंगे, जो अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित Kennedy Space Centre से प्रक्षेपित किया जाएगा। इस मिशन में उनके साथ पेगी व्हिटसन (कमांडर, अमेरिका), टीगोर कापु (हंगरी) और स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्निएव्स्की (पोलैंड) होंगे।
ISS में 14 दिन, पीएम मोदी से भी होगी बात
Ax-4 मिशन के दौरान यह दल 14 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेगा, जहां वे न सिर्फ विज्ञान से जुड़े कई प्रयोग करेंगे, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्कूल छात्रों और स्पेस इंडस्ट्री के विशेषज्ञों से सीधा संवाद भी करेंगे।
भारत के लिए गर्व का क्षण
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस मिशन को लेकर कहा, “यह भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं की वैश्विक स्वीकृति है। विक्रम साराभाई और सतीश धवन जैसे संस्थापकों को यह एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है।”
अंतरिक्ष में रिसर्च भी करेंगे
शुभांशु शुक्ला इस मिशन के दौरान ISRO और जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा तैयार किए गए खाद्य और पोषण संबंधी वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों में NASA का भी सहयोग है और इनका उद्देश्य दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्राओं के लिए आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणाली को विकसित करना है। इसके अलावा, शुभांशु ISRO के सात स्वतंत्र प्रयोगों और NASA के पांच संयुक्त मानव शोध कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे।