
चुनी हुई सरकार के साथ काम करने को तैयार… भारत ने बांग्लादेश को लेकर बताया अपना रुख
संक्षेप: विदेश सचिव बांग्लादेशी पत्रकारों से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने शेख हसीना को बांग्लादेश सौंपने की यूनुस सरकार की मांग को लेकर भी अपनी राय रखी है।
भारत ने बांग्लादेश में होने वाले चुनावों और आगामी सरकार को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को कहा है कि भारत बांग्लादेश में जल्द से जल्द स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराने के पक्ष में है। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत चुनावों में जनता द्वारा चुनी गई किसी भी सरकार के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

विदेश सचिव बांग्लादेश से आए पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत कर रहे थे। इस दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में विक्रम मिस्री ने कहा, "हम बांग्लादेश की जनता के जनादेश से बनने वाली किसी भी सरकार के साथ काम करेंगे।" गौरतलब है कि बांग्लादेश मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने घोषणा की है कि देश में अगले साल फरवरी में चुनाव की प्रक्रिया करवाई जाएगी।
विक्रम मिस्री कहा, "मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और सहभागी चुनावों के पक्ष में है और भारत इन चुनावों को जल्द से जल्द कराने के पक्ष में है।" उन्होंने कहा, "हमें इस बात से खुश हैं कि बांग्लादेशी अधिकारियों ने इन चुनावों के लिए एक समय-सीमा तय की है और अब हम चुनावों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के बारे में पूछे गए एक सवाल पर, विक्रम मिस्री ने कहा है कि यह एक कानूनी मुद्दा है और दोनों पक्ष इस पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं बस इतना ही कहूंगा कि यह एक न्यायिक और कानूनी प्रक्रिया है। इसके लिए दोनों सरकारों के बीच बातचीत और परामर्श की जरूरत है। हम इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं और इन मुद्दों पर बांग्लादेशी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने की इच्छा रखते हैं। इसके अलावा मुझे नहीं लगता कि इस समय कुछ और कहना सही होगा।”
इस दौरान बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय व्यापार में लगाई गई पाबंदियों के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव ने कहा कि ये पाबंदियां बांग्लादेश द्वारा लिए गए फैसलों के कारण ही लगाई गईं हैं। बता दें कि पिछले साल अगस्त में बड़े पैमाने पर हुई सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिर गई थी, जिसके बाद अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस की सरकार की नीतियों की वजह से भारत और बांग्लादेश के संबंधों में लगातार गिरावट आई है।





