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अमेरिका के आगे नहीं झुका भारत, कायम रखी दोस्ती; सिंतबर में रूसी तेल खरीद में जबरदस्त उछाल

अमेरिका के आगे नहीं झुका भारत, कायम रखी दोस्ती; सिंतबर में रूसी तेल खरीद में जबरदस्त उछाल

संक्षेप: आमतौर पर रूसी कच्चे तेल के अनुबंध 6-8 हफ्ते पहले तय होते हैं। यानी सितंबर की शुरुआत में हुई आपूर्ति दरअसल जुलाई में बुक की गई थी। ठीक उसी समय जब ट्रंप ने भारत को सार्वजनिक रूप से चेतावनी देना शुरू किया था।

Wed, 17 Sep 2025 05:48 AMHimanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते कुछ दिनों में भारत के खिलाफ सख्त बयानबाजी की है। इसके अलावा रूसी तेल खरीदने के कारण भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए। आज के समय में भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ है। हालांकि इसका असर भारत पर नहीं दिखा। भारत आज भी रूस से वहीं सबंध बनाए हुए है। भारत के रिफाइनरों ने रूसी तेल की खरीद पर कोई रोक नहीं लगाई है। सितंबर के पहले पखवाड़े में भारतीय बंदरगाहों पर पहुंची रूसी तेल की खेप जुलाई और अगस्त से भी अधिक रही, जिससे यह साफ हो गया है कि अमेरिकी दबाव का तत्काल कोई असर नहीं पड़ा है।

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इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में प्रारंभिक टैंकर ट्रैकिंग डेटा के हवाले से कह है कि 1 से 16 सितंबर के बीच भारत ने औसतन 17.3 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी तेल आयात किया। इसकी तुलना में जुलाई और अगस्त में यह आंकड़ा क्रमशः 15.9 और 16.6 लाख बैरल प्रतिदिन था। विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर के और अक्टूबर की डिलीवरी से स्पष्ट होगा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा अगस्त में घोषित 25% द्वितीयक शुल्क का वास्तविक असर कैसा रहा।

आमतौर पर रूसी कच्चे तेल के अनुबंध 6-8 हफ्ते पहले तय होते हैं। यानी सितंबर की शुरुआत में हुई आपूर्ति दरअसल जुलाई में बुक की गई थी। ठीक उसी समय जब ट्रंप ने भारत को सार्वजनिक रूप से चेतावनी देना शुरू किया था। रूसी बंदरगाहों से सितंबर में भारत के लिए 12.2 लाख बैरल प्रतिदिन तेल लोड किया गया, हालांकि वास्तविक आंकड़ा करीब 16 लाख तक पहुंच सकता है क्योंकि कई टैंकर मिस्र के पोर्ट सईद तक दर्ज हैं, लेकिन परंपरागत रूप से आगे चलकर भारत ही उनकी अंतिम मंज़िल होती है।

क्या है भारत का रुख

भारत सरकार ने अमेरिका की कार्रवाइयों को अनुचित और अव्यावहारिक बताया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि रूस से आयात तब शुरू हुआ जब परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं ने अपना तेल यूरोप की ओर मोड़ दिया था। अमेरिका स्वयं 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर चुका है ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रह सके।

भारत ने बार-बार दोहराया है कि वह तेल जहां से सस्ता और कानूनी रूप से उपलब्ध होगा वहीं से खरीदेगा। चूंकि रूसी तेल पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं है, इसलिए आयात जारी रहेगा। सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनिंग कंपनियों ने भी स्पष्ट किया है कि उन्हें सरकार की ओर से कोई नया निर्देश नहीं मिला है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और अपनी जरूरत का करीब 88% कच्चा तेल आयात करता है। रूस से मिलने वाले छूट वाले तेल ने पिछले तीन वर्षों में भारत को अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा बचत दिलाई है। 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी महज 2% से कम थी। आज रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है, जो कुल आयात का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा पूरा कर रहा है।

Himanshu Jha

लेखक के बारे में

Himanshu Jha
कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट हिमांशु शेखर झा करीब 9 वर्षों से बतौर डिजिटल मीडिया पत्रकार अपनी सेवा दे रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा राष्ट्रीय राजनीति पर अच्छी पकड़ है। दिसंबर 2019 में लाइव हिन्दुस्तान के साथ जुड़े। इससे पहले दैनिक भास्कर, न्यूज-18 और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में भी काम कर चुके हैं। हिमांशु बिहार के दरभंगा जिला के निवासी हैं। और पढ़ें
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