India clears deal to buy 26 Rafale Marine fighters for navy INS Vikrant राफेल मरीन से लैस होगा INS विक्रांत, भारत ने दी 26 लड़ाकू विमान खरीदने की मंजूरी; समंदर में बढ़ेगा दबदबा, India Hindi News - Hindustan
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राफेल मरीन से लैस होगा INS विक्रांत, भारत ने दी 26 लड़ाकू विमान खरीदने की मंजूरी; समंदर में बढ़ेगा दबदबा

  • सौदा केवल जेट विमानों की खरीद तक सीमित नहीं है। इसके तहत हथियार प्रणाली, सिम्युलेटर, स्पेयर पार्ट्स, अन्य जरूरी उपकरण, क्रू ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल है, जो फ्रांस सरकार से मिलेगा।

Amit Kumar हिन्दुस्तान टाइम्स, राहुल सिंह, नई दिल्लीWed, 9 April 2025 02:57 PM
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राफेल मरीन से लैस होगा INS विक्रांत, भारत ने दी 26 लड़ाकू विमान खरीदने की मंजूरी; समंदर में बढ़ेगा दबदबा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने बुधवार को भारतीय नौसेना के लिए 65,000 करोड़ रुपये की लागत से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदने को मंजूरी दे दी है। ये अत्याधुनिक युद्धक विमान देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे। इस बड़े रक्षा सौदे पर जल्द ही भारत और फ्रांस के बीच हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

समुद्री अभियानों के लिए खासतौर पर तैयार राफेल मरीन

राफेल मरीन एक ट्विन-इंजन, डेक-बेस्ड फाइटर जेट है जिसे समुद्री अभियानों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग पहले से ही फ्रांस की नौसेना अपने विमानवाहक पोत 'चार्ल्स डी गॉल' पर कर रही है। जुलाई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई डिफेंस एक्विजीशन काउंसिल (DAC) की बैठक में नौसेना के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।

हथियार, ट्रेनिंग, स्पेयर पार्ट्स समेत व्यापक पैकेज

यह रक्षा सौदा केवल जेट विमानों की खरीद तक सीमित नहीं है। इसके तहत हथियार प्रणाली, सिम्युलेटर, स्पेयर पार्ट्स, अन्य जरूरी उपकरण, क्रू ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल है, जो फ्रांस सरकार से मिलेगा।

स्वदेशी TEDBF के आने तक अंतरिम व्यवस्था

राफेल मरीन जेट की खरीद को भारतीय नौसेना की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए एक अंतरिम व्यवस्था माना जा रहा है। जब तक भारत अपना खुद का ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) विकसित नहीं कर लेता, तब तक यह विमान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

खास डिजाइन और सामग्री से बनी ताकतवर मशीन

राफेल M में विमानवाहक संचालन के लिए असाधारण रूप से मजबूत एयरफ्रेम और अंडरकैरिज है। राफेल मरीन का एयरफ्रेम और लैंडिंग गियर काफी मजबूत हैं, ताकि वह विमानवाहक पोत से टेकऑफ और लैंडिंग की कठिन परिस्थितियों को सह सके। इसमें करप्शन-प्रतिरोधी मिश्रधातुएं और कंपोजिट मटीरियल्स का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह ट्रॉपिकल जलवायु में भी बेहतरीन प्रदर्शन करता है।

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INS विक्रांत को मिलेगा तकनीकी फायदा

INS विक्रांत को कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। यह एक "शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी" (STOBAR) आधारित एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसमें फाइटर जेट्स स्की-जंप की मदद से टेकऑफ करते हैं और अरेस्टर वायर के जरिए लैंड करते हैं। राफेल मरीन इस प्रणाली के अनुरूप पूरी तरह फिट बैठता है।

IAF के राफेल से होगी लॉजिस्टिक कॉमनैलिटी

भारतीय वायुसेना पहले ही फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल जेट्स का संचालन कर रही है, जिसकी लागत लगभग 59,000 करोड़ रुपये थी। नौसेना के लिए राफेल मरीन की खरीद से ट्रेनिंग, रखरखाव और लॉजिस्टिक्स के मामले में समरूपता मिलेगी, जिससे संचालन आसान और अधिक प्रभावी होगा।