Hindi NewsIndia NewsIn Odisha police detained a person thinking he was a Bangladeshi but released him after two days after checking his pap
ओडिसा में बांग्लादेशी समझ पुलिस ने कई भारतीयों को पकड़ा, दो दिन बाद कागज देखकर छोड़ा

ओडिसा में बांग्लादेशी समझ पुलिस ने कई भारतीयों को पकड़ा, दो दिन बाद कागज देखकर छोड़ा

संक्षेप: Odisha police: अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के  खिलाफ अभियान चला रही पुलिस ने बंगाली भाषी कई मजदूरों को हिरासत में ले लिया था। हालांकि अब इन लोगों के कागजातों को देखने के बाद कई लोगों को छोड़ दिया गया है।

Fri, 11 July 2025 02:28 AMUpendra Thapak लाइव हिन्दुस्तान
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ओडिसा पुलिस ने पिछले दिनों 444 प्रवासी मजदूरों को झारसुगड़ा क्षेत्र से संदिग्ध मानकर गिरफ्तार किया था। अब कुछ दस्तावेजों की जांच पड़ताल करने के बाद इनमें से कई श्रमिकों को छोड़ दिया है। रिहा किए गए इन बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों ने ओडिसा पुलिस के ऊपर उन्हें परेशान करने और पिछले तीन दिनों से हिरासत केंद्रों में रखने का आरोप लगाया है।

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द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में लिए गए इन प्रवासी मजदूरों से पुलिस ने जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट जैसे कागजातों की मांग की। चूंकि ज्यादातर मजदूर पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों के आते हैं, ऐसे में उनके पास जन्म प्रमाण पत्र या फिर पासपोर्ट मौजूद नहीं थे। दस्तावेज न होने की स्थिति में उनकी रिहाई में और भी ज्यादा देरी हो रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने जन्म प्रमाण पत्र या पासपोर्ट की अनुपलब्धता के बाद अन्य दस्तावेजों की मांग की लेकिन उसके सत्यापित होने में काफी समय लग गया।

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए एक प्रवासी मजदूर के रिश्तेदार ने कहा, "मेरे बहनोई 37 साल के हैं। हमारे इलाके में उनके जन्म के समय कोई भी जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन नहीं करता था। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन हमें अपनी भारतीयता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र दिखाने के लिए कहा जाएगा।"

हिरासत में लिए गए मजदूरों के रिश्तेदारों ने बताया कि अपने लोगों की रिहाई को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने अपने गृह जिलों मुर्शिदाबाद और हुगली से अपनी जमीनों के दस्तावेजों को मंगवाया और अपने कई दूसरे रिश्तेदारों के आधार कार्डों को भी जमा किया। इन कागजातों को जमा करने के बाद पुलिस ने एक लंबी प्रक्रिया के तहत इनका सत्यापान किया और कई लोगों को रिहा कर दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक रिहाई के बाद मजदूरों को उनकी नौकरियों पर लौटने की इजाजत दी गई है। कथित तौर पर पुलिस ने उन्हें काम पर रखने वाले लोगों से सबूत के तौर पर वीडियो बनाकर देने के लिए कहा है।

Upendra Thapak

लेखक के बारे में

Upendra Thapak
उपेन्द्र पिछले कुछ समय से लाइव हिन्दुस्तान के साथ बतौर ट्रेनी कंटेंट प्रोड्यूसर जुड़े हुए हैं। पत्रकारिता की पढ़ाई भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली (2023-24 बैच) से पूरी की है। इससे पहले भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से अपना ग्रैजुएशन पूरा किया। मूल रूप से मध्यप्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, राजनीति के साथ-साथ खेलों में भी दिलचस्पी रखते हैं। और पढ़ें
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