
बिहार में कितने रोहिंग्या मिले; क्या EC ने हटाए उनके नाम? SIR के खिलाफ क्या-क्या बोलीं ममता बनर्जी
संक्षेप: ममता बनर्जी ने EC पर आरोप लगाया कि वह BJP शासित राज्यों को छोड़ दे रहा है जबकि विपक्ष शासित राज्यों केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चुनिंदा रूप से Special Intensive Revision करा रहा है। उन्होंने कहा भाजपा शासित असम में ऐसा नहीं कर रहा है।
Special Intensive Revision: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी मंगलवार को कोलकाता की सड़कों पर उतरीं और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ एक विशाल विरोध रैली का नेतृत्व किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा के उस दावे पर सवाल खड़े किए जिसमें केंद्र की सत्ताधारी दल ने कहा था कि SIR प्रक्रिया राज्य में अवैध प्रवासियों का पता लगाने में मदद करेगी। मुख्यमंत्री बनर्जी ने पलटवार करते हुए भाजपा से पूछा कि बिहार में मतदाता सूची संशोधन के दौरान कितने रोहिंग्याओं की पहचान हुई? और क्या क्या चुनाव आयोग ने उनके नाम हटा दिए?

तृणमूल प्रमुख ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर SIR प्रक्रिया के जरिए "चुपचाप धांधली" करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कई असंगठित क्षेत्र के मजदूर सोच रहे हैं कि क्या उनके नाम हटा दिए जाएँगे।" उन्होंने कहा, "बांग्ला में बात करने का मतलब बांग्लादेशी नहीं होता, ठीक वैसे ही जैसे हिंदी या पंजाबी में बात करने का मतलब पाकिस्तानी नहीं होता। जो कोई भी बांग्ला में बात करता है उसे बांग्लादेशी करार दे दिया जाता है। ये बेवकूफ जिन्होंने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी... उस समय भाजपा कहाँ थी?"
भाजपा बंगाली प्रवासियों को बांग्लादेशी बता रही
कोलकाता में रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा बंगाली प्रवासियों को बांग्लादेशी बता रही है और बंगाल के खिलाफ फर्जी खबरें फैला रही है। ममता ने कहा कि भाजपा मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के माध्यम से बंगाल में मतदाताओं को डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने एसआईआर सूची में नाम जोड़ने के लिए आधार कार्ड को पहचान के वैध प्रमाण के रूप में न मानने के लिए भी चुनाव आयोग पर निशाना साधा।
SIR को भाजपा ने बनाया राजनीतिक औजार
TMC चीफ ने कहा कि भाजपा वोट नहीं, बल्कि नोट के आधार पर चुनाव जीतना चाहती है। बनर्जी ने कहा कि यदि मतदाता सूचियों से एक भी पात्र मतदाता को हटाया गया तो केंद्र में भाजपा नीत सरकार का गिर जाना तय है। उन्होंने भाजपा और निर्वाचन आयोग पर 2026 के बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को डराने-धमकाने के लिए SIR को राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
चुनाव आयोग पर भी लगाए आरोप
ममता बनर्जी ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि वह भाजपा शासित राज्यों को छोड़ दे रहा है जबकि विपक्ष शासित राज्यों में चुनिंदा रूप से पुनरीक्षण अभियान चला रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में एसआईआर चला रहा है, लेकिन भाजपा शासित असम में (वह) ऐसा नहीं कर रहा है।’’ इन चार राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
असम, त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में SIR क्यों नहीं
ममता बनर्जी ने मांग की, ‘‘निर्वाचन आयोग को यह भी जवाब देना चाहिए कि भाजपा शासित असम, त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में एसआईआर क्यों नहीं कराया जा रहा है। उन्होंने इसे ‘‘केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की मदद करने के उद्देश्य से किया गया स्पष्ट भेदभाव’ बताया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 2002 में हुई पिछले एसआईआर को पूरा होने में कम से कम दो साल लगे थे। उन्होंने आश्चर्य जताया कि इस बार निर्वाचन आयोग इसे सिर्फ़ एक महीने में पूरा करने की ‘जल्दबाजी’ क्यों कर रहा है।
मौजूदा प्रक्रिया राजनीति से प्रेरित
बनर्जी ने मौजूदा प्रक्रिया को ‘जल्दबाजी में और राजनीति से प्रेरित’ बताया। बनर्जी ने समर्थकों की तालियों की गड़गड़हाट के बीच बीच कहा, ‘‘यदि बंगाल में मतदाता सूचियों से एक भी पात्र मतदाता को हटाया गया तो हम भाजपा सरकार को गिरा देंगे।’’ उन्होंने भाजपा पर बंगालियों को बदनाम करने के लिए फर्जी एवं सांप्रदायिक दुष्प्रचार करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने पूछा कि अगर यह मतदाता सूची फर्जी है, तो भाजपा ने इसी सूची के आधार पर पिछले चुनाव कैसे जीते?’’
दिल्ली तक ले जाएंगे लड़ाई
बनर्जी ने आरोप लगाया कि एसआईआर का मतलब ‘चुपचाप, अदृश्य तरीके से धांधली’ है और भाजपा मतदाताओं में डर पैदा करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है। तृणमूल प्रमुख ने सवाल किया, ‘‘हमें इस धरती पर जन्म लेने और पले-बढ़े होने के बाद भी क्या भाजपा के सामने अपनी नागरिकता साबित करनी होगी?’’भीड़ ने बनर्जी के इस बयान का पुरज़ोर समर्थन किया। विरोध मार्च के दौरान मुख्यमंत्री के भतीजे और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी मौजूद थे।तृणमूल प्रमुख ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर तृणमूल कांग्रेस इस लड़ाई को दिल्ली तक ले जाएगी। (भाषा इनपुट्स के साथ)





