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आतंकवाद पर भारत की चिंताओं से एक ही घटना पर वाकिफ हो गया था अमेरिका, फिर छिड़ा था GWOT

आतंकवाद पर भारत की चिंताओं से एक ही घटना पर वाकिफ हो गया था अमेरिका, फिर छिड़ा था GWOT

संक्षेप: 11 सितंबर, 2001 को भीषण आतंकी हमला हुआ। इस हमले में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर समेत दो इमारतों को टारेगट किया गया, जिसमें 3000 से ज्यादा लोग मारे गए। दुनिया के इतिहास में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला था। इस हमले ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया और पहली बार पश्चिम को यह आभास कराया कि आतंकवाद कितना खतरनाक है।

Thu, 11 Sep 2025 02:19 PMSurya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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11 सितंबर की तारीख दुनिया के इतिहास में कई अहम घटनाक्रमों की अलग-अलग कालखंड में गवाह रही है। इसी दिन स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो में वेदांत और हिंदू दर्शन से दुनिया को अवगत कराया था। विडंबना ही है कि शांति के उपदेश की तारीख के लिए जाना गए 11 सितंबर को ही करीब एक सदी बाद 2001 में भीषण आतंकी हमला हुआ। इस हमले में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर समेत दो इमारतों को टारेगट किया गया, जिसमें 3000 से ज्यादा लोग मारे गए। अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया के इतिहास में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला था। इस हमले ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया और पहली बार पश्चिमी जगत को यह आभास कराया कि आतंकवाद कितना खतरनाक है।

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ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में 1990 के दशक से ही आतंकवादी घटनाएं तीव्र हो गई थीं। सीमा पार आतंकवाद जोर पकड़ रहा था। पाकिस्तान की ओर से छेड़े गए छद्म युद्ध का भारत शिकार हो रहा था। इसे लेकर भारत ने लगातार वैश्विक मंचों पर आवाज भी उठाई, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देश उसकी गंभीरता को समझने में नाकाम रहे। माना जाता है कि 9/11 का आतंकी हमला वह मोड़ था, जब पूरे विश्व को आभास हुआ कि जिहादी आतंकवाद कितना बड़ा संकट है। इस आतंकी हमले ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत तमाम पश्चिमी देशों की आंखें खोल दी थीं और खुलकर जिहादी आतंकवाद की बात शुरू हुई।

इसके बाद ही आतंकवाद से निपटने के लिए अमेरिका ने जंग शुरू की और उसने नाम दिया Global War on Terrorism यानी GWOT। यह एक वैश्विक सैन्य अभियान था, जिसके तहत अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमले किए। ऐसा इसलिए हुआ ताकि अलकायदा की पनाहगाह में घुसकर हमले किए जाएं। दो दशक तक यहां अमेरिका डटा रहा और अंत में तालिबान के हाथ ही सत्ता छोड़कर उसे जाना पड़ा। लेकिन इस जंग के चलते ही दुनिया में कई संघर्ष हुए। वॉर एक्सपर्ट मानते हैं कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद दुनिया में यह एक नए तरह का युद्ध था, जिसे आतंक के खिलाफ जंग कहा गया।

इस जंग का मुख्य उद्देश्य इस्लामिक आतंकी संगठन थे, जैसे- अलकायदा, तालिबान और उनके सहयोगी। अन्य बड़े लक्ष्य इराक का बाथ़ पार्टी शासन भी था, जिसे 2003 में आक्रमण कर हटाया गया। हालांकि इसे लेकर विवाद रहा है कि इराक पर जिन हथियारों का आरोप लगाकर सद्दाम हुसैन को हटाया गया, वे कभी मिले नहीं। इसके बाद 2014 में इस्लामिक स्टेट जैसे खूंखार आतंकी संगठन का उभार हुआ। बता दें कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 16 सितंबर 2001 को पहली बार 'वार ऑन टेररिज्म' का प्रयोग किया और कुछ दिन बाद संसद में दिए औपचारिक भाषण में 'वार ऑन टेरर' कहा।

Surya Prakash

लेखक के बारे में

Surya Prakash
दुनियादारी में रुचि पत्रकारिता की ओर खींच लाई। समकालीन राजनीति पर लिखने के अलावा सामरिक मामलों, रणनीतिक संचार और सभ्यतागत प्रश्नों के अध्ययन में रुचि रखते हैं। करियर की शुरुआत प्रिंट माध्यम से करते हुए बीते करीब एक दशक से डिजिटल मीडिया में हैं। फिलहाल लाइव हिन्दुस्तान में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क के इंचार्ज हैं। और पढ़ें
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