
RSS प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री बनने के बाद तक, जारी है मोदी की अथक यात्राएं
संक्षेप: नरेंद्र मोदी की राजनीति में यात्राओं की गहरी छाप रही है। 1990 में उन्होंने सोमनाथ-अयोध्या रथयात्रा के आयोजन में अहम भूमिका निभाई, जिसने हिंदू समाज में गर्व की भावना जगाई और भाजपा के राष्ट्रीय स्तर पर उभरने की नींव रखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 75 साल को गए हैं। देश और दुनिया के दिग्गज नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं। हाल ही में दो दिन के पूर्वोत्तर दौरे से लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस माह के अंत में एक बार फिर क्षेत्र की यात्रा पर जा सकते हैं। वे त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा करेंगे। आरएसएस प्रचारक के दिनों से ही लगातार यात्राएं उनकी पहचान रही है। आज भी यह जारी। प्रधानमंत्री की ये यात्राएं सिर्फ भाषण तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि योजनाओं की प्रगति की समीक्षा, जनता से प्रत्यक्ष संवाद और फीडबैक लेने का जरिया भी बनती हैं। आज अपने जन्मदिन के दिन वे मध्यप्रदेश में रहेंगे, जहां वे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत करेंगे।

नरेंद्र मोदी की राजनीति में यात्राओं की गहरी छाप रही है। 1990 में उन्होंने सोमनाथ-अयोध्या रथयात्रा के आयोजन में अहम भूमिका निभाई, जिसने हिंदू समाज में गर्व की भावना जगाई और भाजपा के राष्ट्रीय स्तर पर उभरने की नींव रखी। इसके बाद 1991 में एकता यात्रा के दौरान उन्होंने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के साथ उन्होंने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया। उनकी यह यात्रा आतंकवाद के खिलाफ साहसिक प्रतीक बनी।
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उनकी गुजरात गौरव यात्रा (2002) ने भूकंप के बाद उम्मीद जगाई, जबकि स्वर्णिम गुजरात यात्रा (2010) ने राज्य की उपलब्धियों का उत्सव मनाया। भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी का कहना है कि, “हर यात्रा जनता से जुड़ाव का पुल रही, जो उनकी आकांक्षाओं से सीधे जुड़ी थी।”
आरएसएस प्रचारक के दिनों से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक, नरेंद्र मोदी की यात्राएं हमेशा जनसंपर्क और संवाद का माध्यम रही हैं। उनका मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ भी इसी रणनीति का विस्तार है, जिसके जरिए वे लोगों की छोटी-छोटी उपलब्धियों को विकसित भारत की बड़ी तस्वीर से जोड़ते हैं। चाहे ओडिशा की संथाली हथकरघा परंपरा को पुनर्जीवित करने वाली महिला का जिक्र करना हो या पुलवामा में पहली बार आयोजित रात्रिकालीन क्रिकेट मैच पर खुशी जताना, प्रधानमंत्री लोगों की उपलब्धियों को राष्ट्रीय गर्व से जोड़ते रहे हैं।
कोविड महामारी के दौरान उनके संदेशों और ऐप आधारित संवाद ने स्वास्थ्य संकट को जनआंदोलन का रूप दिया। सुरक्षा चुनौतियों के समय उनका वाक्य “घर में घुस के मारेंगे” सामूहिक संकल्प और हौसला बढ़ाने का प्रतीक बना। इसी तरह, चंद्रयान-2 की विफलता पर इसरो वैज्ञानिकों के साथ खड़े रहना या छात्रों से ‘परीक्षा पे चर्चा’ के जरिए उनका उत्साहवर्धन करना, पीएम मोदी की भूमिका पितृवत सलाहकार और संवेदनशील मार्गदर्शक के रूप में भी रही है।





