
ऐसे में तो कलंक लग जाएगा मीलॉर्ड! उनका तबादला रोकिए… CJI और भावी CJI से वकीलों की गुहार
संक्षेप: वकीलों के प्रतिनिधिमंडल ने सीजेआई से कहा कि जस्टिस भट्ट ने कभी भी कानूनी लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन नहीं किया है और हमेशा से उच्च मानदंड बनाए रखे हैं। ऐसे में उनका तबादला उनके लिए एक कलंक साबित होगा।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले दिनों गुजरात हाई कोर्ट के जज जस्टिस संदीप भट्ट का तबादला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट कर दिया। इससे गुजरात हाई कोर्ट के वकील नाराज हो गए हैं। जस्टिस भट्ट के तबादले के खिलाफ वहां के वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और भावी CJI जस्टिस सूर्यकांत, जो कॉलेजियम के सदस्य हैं, से मुलाकात की और कॉलेजियम से जस्टिस संदीप भट्ट के तबादले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया।
बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (GHCAA) जस्टिस भट्ट के तबादले के विरोध में 26 अगस्त से ही काम नहीं कर रहा है। GHCAA अध्यक्ष ब्रिजेश जे त्रिवेदी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। इसमें त्रिवेदी के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता असीम पंड्या, अधिवक्ता हार्दिक ब्रह्मभट्ट, बाबूभाई मंगुकिया, दीपेन दवे और भार्गव भट्ट शामिल हैं। इस प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में गुरुवार को सीजेआई गवई और वरिष्ठ जज जस्टिस सूर्यकांत से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
न्यायाधीश के रूप में उनकी ईमानदारी सवालों से परे
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने आवेदन में वकीलों के प्रतिनिधिमंडल ने कॉलेजियम से जस्टिस भट्ट के तबादले पर फिर से विचार करने का आग्रह करते हुए कहा है, “माननीय जस्टिस संदीप एन. भट्ट को 2021 में नियुक्त किया गया था और 4 वर्षों की छोटी अवधि के दौरान, उन्होंने 19,000 मामलों का निपटारा किया है, जो हाई कोर्ट और बार के सदस्यों के प्रति उनके कठोर परिश्रम और ईमानदारी को दर्शाता है और एक न्यायाधीश के रूप में उनकी ईमानदारी सवालों से परे है और पूरा बार माननीय जस्टिस संदीप भट्ट की पीठ के कामकाज के प्रति सम्मान व्यक्त करता है।”
चीफ जस्टिस पर गंभीर आरोप
वकीलों के समूह ने अपने ज्ञापन में गुजरात हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुनीता अग्रवाल के खिलाफ कई कठोर टिप्पणी करते हुए उन पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। वकीलों ने चीफ जस्टिस के प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं और संकेत दिया है कि जस्टिस भट्ट का तबादला चीफ जस्टिस की प्रशासनिक कार्यप्रणाली के खिलाफ उनके द्वारा पारित कुछ न्यायिक आदेशों का परिणाम हो सकता है।
तबादले से कलंक लग जाएगा
वकीलों के प्रतिनिधिमंडल ने सीजेआई से कहा कि जस्टिस भट्ट ने कभी भी कानूनी "लक्ष्मण रेखा" का उल्लंघन नहीं किया है और हमेशा से उच्च मानदंड बनाए रखे हैं। वकीलों ने आगे तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानांतरण कोई सामान्य बात नहीं है, इसलिए इस तरह से जस्टिस भट्ट का तबादला उन पर एक कलंक लगने जैसा प्रतीत होगा। उन्होंने तर्क दिया कि इससे न केवल जस्टिस भट्ट की प्रतिष्ठा, बल्कि न्याय प्रदान करने की संपूर्ण प्रणाली भी धूमिल हो सकती है।
कौन हैं जस्टिस संदीप भट्ट
जस्टिस भट्ट ने 1988 में राजकोट के कोटक साइंस कॉलेज से विज्ञान में स्नातक और 1992 में कानून की डिग्री हासिल की। उन्होंने 23 जनवरी, 1993 को गुजरात बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया। इसके बाद 1993 में राजकोट जिला न्यायालय में अपने पिता, एन.एस. भट्ट के साथ कानूनी करियर शुरू किया। एक साल बाद ही 1994 में, उन्होंने स्वर्गीय गिरीशभाई डी. भट्ट के मार्गदर्शन में गुजरात हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। चार साल पहले अक्टूबर 2021 में उन्हें गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। 25 अगस्त को कॉलेजियम ने उनका तबादला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट कर दिया।





