
मनुस्मृति नहीं, भीम स्मृति से चलेगी सरकार; RSS के कार्यक्रम में छाए रहे आंबेडकर
संक्षेप: कोविंद ने अपने भाषण में डॉ. आंबेडकर और आरएसएस संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार को राष्ट्र निर्माता बताया। उन्होंने कहा कि दोनों ने समाज और देश की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी स्थापना दिवस के अवसर पर गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में दलित चिंतक और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों का विशेष उल्लेख किया गया। संघ प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दोनों ने ही अपने संबोधन में आंबेडकर के सिद्धांतों को उल्लेख किया।

मुख्य अतिथि के तौर में कार्यक्रम में शामिल हुए पूर्व राष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि उनकी सरकार मनुस्मृति नहीं, भीम स्मृति (संविधान) के आधार पर चलेगी। उन्होंने कहा, “हम भीमवादी हैं।” जिसका अर्थ है कि हम आंबेडकर के विचारों पर चलने वाले हैं।
अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी आंबेडकर का उल्लेख करते हुए सामाजिक एकता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने देश की एकता की नींव को अंतर्निहित सांस्कृतिक एकता बताया था। भागवत ने चेतावनी दी कि पड़ोसी देशों की तरह भारत में भी कुछ ताकतें अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर सकती हैं, जिनसे सतर्क रहने की जरूरत है।
कोविंद ने अपने भाषण में डॉ. आंबेडकर और आरएसएस संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार को राष्ट्र निर्माता बताया। उन्होंने कहा कि दोनों ने समाज और देश की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आपको बता दें कि संघ अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और इस मौके पर वह आंबेडकर के विचारों और अपनी वैचारिक पृष्ठभूमि के बीच साम्यता दिखाने पर बल दे रहा है। विशेष रूप से अनुसूचित जाति समुदाय में आंबेडकर की पूजनीय छवि को देखते हुए संघ इसे सामाजिक समरसता और एकता का सेतु मान रहा है।





