चीन से फिर भिड़े ट्रंप, अब भारत की तरफ देख रहा अमेरिका; ट्रेड डील पर जल्दी बन सकती है बात
संक्षेप: चीन ने हाल ही में दुर्लभ खनिज के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी जिसके बाद अमेरिका ने भी चीन पर जवाबी कार्रवाई की। अमेरिका ने चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगा दिया है।

चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुए ट्रेड वॉर के बीच भारत के लिए जल्द ही एक खुशखबरी सामने आ सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के साथ दुश्मनी मोल लेकर अमेरिका अब भारत के साथ ट्रेड डील पर जल्दी मुहर लगा सकता है। नई दिल्ली स्थित एक प्रमुख व्यापार नीति थिंक टैंक ने कहा है कि चीन के साथ टैरिफ को लेकर अमेरिका का नया विवाद, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते की दिशा को गति प्रदान कर सकता है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने ANI से बातचीत के दौरान मौजूदा समीकरणों पर चर्चा की है। उन्होंने बताया, "दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर चीन का कड़ा नियंत्रण और गहराता अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, अमेरिका को सहयोगियों के साथ अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है क्योंकि अमेरिका अब वैकल्पिक सप्लाई चेन बनाने के लिए विश्वसनीय साझेदारों की तलाश कर रहा है।"
जीटीआरआई के आकलन के मुताबिक, “मौजूदा स्थिति भारत के साथ व्यापार समझौते में तेजी ला सकता है।” वहीं रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका भारत को 16 से 18 प्रतिशत टैरिफ की पेशकश करेगा। फिलहाल अमेरिका भारत से आयातित उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ वसूल रहा है।
हालांकि जीटीआरआई ने आगाह किया है कि भारत को अपने मूल हितों का ध्यान रखना चाहिए। थिंक टैंक के आकलन में कहा गया है, "भारत को कृषि, डिजिटल व्यापार, ई-कॉमर्स और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के क्षेत्र में अपनी सीमाओं पर अडिग रहना चाहिए और ऐसे किसी भी चीन-विरोधी प्रावधान से बचना चाहिए जो उसकी रणनीतिक स्वायत्तता को सीमित कर सकते हैं।"
ट्रेड डील पर चर्चा जारी
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी और अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि व्यापार के मुद्दों को लेकर लड़ाई चीन बनाम युद्ध की है, और इस मुद्दे पर उन्होंने भारत को अपना साझेदार बताया है। इस बीच ट्रेड डील पर चर्चा के लिए भारत के अधिकारी अमेरिका पहुंचे हैं और मुद्दे पर बातचीत लगातार जारी है। सरकारी सूत्रों ने बताया, "भारतीय टीम अमेरिका में है और वे यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हम दोनों पक्षों के लिए एक विन-विन वाली सॉल्यूशन निकाल सकते हैं।"





