
दिल्ली जाकर तब तक भूख हड़ताल करें...तेलंगाना के सीएम को किसने किया चैलेंज, क्या है मामला
संक्षेप: तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को अनोखा चैलेंज मिला है। विधानसभा में पंचायती राज सुधार बिल पर बहस के दौरान बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने उन्हें यह चैलेंज दिया है।
तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को अनोखा चैलेंज मिला है। विधानसभा में पंचायती राज सुधार बिल पर बहस के दौरान बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने उन्हें यह चैलेंज दिया है। केटी रामाराव ने कहा है कि अगर रेवंत रेड्डी वास्तव में पिछड़ों के हितैषी हैं तो उन्हें दिल्ली जाकर बेमियादी भूख हड़ताल करनी चाहिए। वह जंतर-मंतर पर जाकर तब तक भूख हड़ताल करें जब तक कि बैकवर्ड क्लास बिल पास नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में समर्पण दिखाने का समय है।

केसीआर का भी जिक्र
इस दौरान केटीआर ने केसीआर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि केसीआर दिल्ली गए और उन्होंने ऐलान किया कि तेलंगाना लिए बिना वह वापस नहीं लौटेंगे। अब बैकवर्ड क्लास बिल पर सीएम रेवंत रेड्डी को भी ऐसा करना चाहिए। केटीआर ने आगे कहा कि केसीआर भारत के पहले नेता थे, जिन्होंने 2004 में अलग ओबीसी वेलफेयर मिनिस्ट्री की मांग की थी। पार्टी स्थापित करने के तत्काल बाद वह बैकवर्ड क्लास पॉलिसी लाए थे। उन्होंने कहा कि तेलंगाना विधानसभा में, हमने जाति जनगणना और विधायिकाओं में ओबीसी आरक्षण की मांग वाले प्रस्ताव पारित किए और उन्हें केंद्र को भेजा। जब भी हमें अवसर मिला, हमने पिछड़े वर्ग और कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित किया।
रेवंत रेड्डी का बीआरएस पर आरोप
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने रविवार को कहा कि पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार का 2018 में लाया गया कानून स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए बढ़े हुए आरक्षण को लागू करने में बाधा बन गया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में नगरपालिका और पंचायत राज अधिनियम संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान कहा कि बीआरएस सरकार ने 2018 में पंचायत राज अधिनियम और 2019 में नगरपालिका अधिनियम बनाया। इन दोनों में चुनावों को 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के भीतर कराने का प्रावधान था। श्री रेड्डी ने कहा कि यही कानून अब एक गतिरोध बन गया है।
बीआरएस को चेतावनी
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि स्थानीय निकाय चुनाव 30 सितंबर तक करा लिए जाएं। कानूनी बाधा को दूर करने के लिए, राज्य सरकार 50 प्रतिशत की सीमा हटाने के लिए एक अध्यादेश लाई और उसे राज्यपाल के पास भेजा, लेकिन उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया। सीएम रेड्डी ने कहा कि जहां कांग्रेस सरकार सामाजिक न्याय के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है, वहीं बीआरएस विधानसभा में इसमें व्यवधान डाल रही है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर उनकी मांग का समर्थन न करने के लिए बीआरएस नेताओं की भी आलोचना की। सीएम रेड्डी ने चेतावनी देते हुए कहा कि जनता आपको आपकी गलतियों की सज़ा दे चुकी है। अगर आप नहीं बदले, तो वे आपको दोबारा वह दर्जा भी नहीं देंगे।





