जिस विमान अपहरण की गुत्थी सुलझा रहे थे जयशंकर, उसी में सवार थे उनके पिता; सुनाया 1984 का वाकया
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वह काफी दिलचस्प लम्हा था क्योंकि एक तरफ वह उस टीम का हिस्सा थे जो विमान अपहरण का मामला सुलझा रहा था और दूसरी तरफ वह उस परिवार का भी हिस्सा थे, जो सरकार पर सभी अपहृतों को सकुशल मुक्त कराने का दबाव बना रहे थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को 40 साल पुराना एक वाकया सुनाते हुए खुलासा किया कि 1984 में जब वह विदेश सेवा के नए-नवेले और युवा अधिकारी थे और एक विमान अपहरण कांड में अपहर्ताओं से डील करने वाली टीम में खुद शामिल थे, तब उन्हें पता चला था कि जिस विमान अपहरण की गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, उसी में उनके पिता भी सवार हैं। उनके पिता कृष्णास्वामी सुब्रमण्यम भी सिविल सेवा के अधिकारी थे। उस विमान का अपहरण कर अपहर्ता उसे दुबई लेकर चले गए थे।
इन दिनों जिनेवा के दौरे पर पहुंचे जयशंकर से जब नेटफ्लिक्स सीरीज ‘IC 814: द कंधार हाईजैक’ के बारे में सवाल पूछा गया तो विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने फिल्म नहीं देखी है। इसलिए, इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। इसी दौरान उन्होंने कहा कि जब वह 1984 में एक युवा अधिकारी थे, तब इंडियन एयरलाइन्स के विमान अपहरण केस को सुलझाने वाली टीम में शामिल थे, जो अपहर्ताओं से डील कर रही थी। उन्होंने कहा कि जब मैंने अपनी मां को यह बताने के लिए फोन किया कि विमान अपहरण केस में उलझे होने की वजह से घर नहीं आ पाऊंगा तो उनकी मां ने बताया कि उसी विमान में उनके पिता भी सवार हैं।
जयशंकर ने कहा कि वह दिलचस्प लम्हा था क्योंकि एक तरफ वह उस टीम का हिस्सा थे जो विमान अपहरण का मामला सुलझा रहा था और दूसरी तरफ वह उस परिवार का भी हिस्सा थे जो सरकार पर अपहृतों को मुक्त कराने का दबाव बना रहे थे।
बता दें कि 24 अगस्त 1984 को नई दिल्ली से श्रूनगर जाने वाले इंडियन एयरलाइन्स के एक विमान IC 421 का तब अपहरण कर लिया गया था, जब उसने चंडीगढ़ से जम्मू के लिए उड़ान भरी थी। फ्लाइट टेक ऑफ होते ही खालिस्तान समर्थक अपहर्ताओं ने कॉकपिट में घुसकर विमान अपहरण होने की बात कही थी। उस वक्त उन अपहर्ताओं के पास हथियार के रूप में कृपाण और पगड़ी में इस्तेमाल होने वाली सुई थी। सभी अपहर्ता युवा थे और खालिस्तान के समर्थन में नारा लगा रहे थे। बाद में उस विमान को पठानकोट के ऊपर से गुजारते हुए दुबई ले जाया गया था। 36 घंटे के बाद खालिस्तान समर्थक 12 अपहर्ताओं ने आत्मसमर्पण कर दिया था और चालक दल के छह लोगों के साथ सभी 68 यात्रियों को सुरक्षित छोड़ दिया था।
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