
अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं, लद्दाख में चार की मौत पर यह क्या बोल गए कश्मीरी नेता?
संक्षेप: पीपल्स कॉन्फ्रेंस नेता सज्जाद लोन ने कहा कि लद्दाख के लोग अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं। उन्होंने चार लोगों की मौत पर दुख का दिखावा करते हुए कि लद्दाख के लोगों ने जम्मू-कश्मीर को खूब बदनाम किया है।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूचि में शामिल करने को लेकर चल रहा आंदोलन उग्र हो गया। हिंसा में कम से कम चार लोगों की जान भी चली गई। पीपल्स कॉनफ्रेंस चीफ सज्जाद गनी लोन ने मारे गए लोगों को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने मौत पर कहा कि लद्दाख के लोग अपने कर्मों का फल भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा, लद्दाख के चार लोगों की मौत का मुझे दुख है, उनकी आत्मा का शांति मिले। सज्जाद लोन ने एक तरह से लद्दाख में हुई हिंसा पर तंज कसा है।
लोन ने कहा, मैं किसी बिना लांग लपेट के सच को सच कहना चाहता हूं। यहां जो कुछ भी हो रहा है वह अपने ही किए का फल है। जैसे कोई व्यक्ति कोई सौदा बिना सोचे-समझे करता है तो उसे बाद में पछताना पड़ता है। अपने कर्मों का फल सबको भुगतना होगा। हंदवाड़ा से विधायक लोन ने दावा किया कि 70 सालों तक लद्दाख ने कश्मीर के लोगों को बदनाम किया।
लोन ने कहा, "वे जिस दौर से गुजर रहे हैं, उनकी हालत एक ऐसे खरीदार जैसी हो गई है जो कि सौदा करने के बाद पछताता है। यहीं उनके कर्मों का फल है।" उन्होंने कहा, जब लद्दाख को हमारे कश्मीर से अलग किया गया तो मैं बहुत खुश हुआ। मैं उनसे ज्यादा अपने लिए ही खुश था। उन्होंने कहा, आरक्षण के नाम पर वे हमारी नौकरियां ले लेंगे। वे हमें परेशान करेंगे। वहीं वे लोग हमारे लोगों को लद्दाख में काम भी नहीं करने देंगे। उनके पास हिल काउंसिल है। जम्मू-कश्मीर के तौर पर हमारा उनपर कोई नियंत्रण ही नहीं है।
लोन ने आगे कहा, आरक्षण के नाम पर हमें उनको नौकरी देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि लद्दाख बहुत छोटा सा केंद्र शासित प्रदेश है जहां केवल चार विधानसभा सीटें और एक लोकसभा सीट है। इसके बाद भी लद्दाख समस्या पैदा करने वाला है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लद्दाख का इस्तेमाल कश्मीरियों को परेशान करने के लिए करती है। उन्होंने कहा कि लद्दाख का जम्मू-कश्मीर का हिस्सा होना भी हमारे लिए अच्छा नहीं था।
बता दें कि सरकार ने लद्दाख में हिंसा के लिए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने कहा था कि यह एक सुनियोजित साजिश थी। दरअसल 10 सितंबर को वांगचुक और लद्दाख एपेक्स बॉडी के 15 कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। मंगलवार को दोनों की हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शकारियों और पुलिस के बीच झड़प होने लगी। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।





