
थिएटर कमांड से पहले तैयारियां तेज, ऐक्शन मोड में भारत की तीनों सेनाएं; होंगे कई बदलाव
संक्षेप: ये उपाय थिएट्राइजेशन से पहले बलों को एक मजबूत नींव प्रदान करेंगे, जहां थिएटर कमांड्स के तहत एकीकृत कमांड संरचना कार्यरत होगी। इससे न केवल संचालन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि संसाधनों का बेस्ट इस्तेमाल भी संभव होगा।
भारतीय सशस्त्र बलों में एक साथ ऐक्शन लेने की क्षमता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। थिएट्राइजेशन यानी थिएटर कमांड्स की स्थापना से पहले सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच उपकरणों का मानकीकरण, खरीद व्यवस्था के लिए साझा सप्लाई चेन, सभी स्तरों पर संयुक्त प्रशिक्षण, अधिक क्रॉस-पोस्टिंग और कर्मियों के बीच सामाजिक मेलजोल बढ़ाने जैसे उपायों पर जोर दिया जा रहा है।

इन मुद्दों पर हाल ही में कोलकाता में आयोजित कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में चर्चा हुई, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हुए थे। इस सम्मेलन में कई अहम निर्णय लिए गए, जिनमें एकीकृत त्रि-सेवा शिक्षा कोर का गठन और पहले चरण में तिरुवनंतपुरम, विशाखापट्टनम और गांधीनगर में तीन संयुक्त सैन्य स्टेशन स्थापित करना शामिल है।
थिएटर कमांड से पहले गहराई से समझ
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि तीनों सेनाएं एक-दूसरे की क्षमताओं और चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने की दिशा में काम कर रही हैं ताकि किसी भी सैन्य अभियान की योजना की शुरुआत से ही त्रि-सेवा आवश्यकताओं को उसमें शामिल किया जा सके। हालांकि, थिएटर कमांड की संरचना को लेकर अभी तक तीनों सेनाओं के बीच सहमति नहीं बन पाई है।
संयुक्त प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम में बदलाव
अब संयुक्त प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि सभी सेवाओं के अधिकारी और जवान एक-दूसरे के उपकरणों और क्षमताओं से परिचित हो सकें और उन्हें ऑपरेशन में बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए कुछ पाठ्यक्रमों की रिक्तियां और सिलेबस इस तरह से बदले जा रहे हैं कि तीनों सेनाओं के कर्मी साथ में प्रशिक्षण ले सकें।
संचार और डेटा-शेयरिंग पर फोकस
फिलहाल सीमित स्तर पर मौजूद त्रि-सेवा संचार नेटवर्क को भी विस्तारित करने की योजना है, ताकि निर्बाध संचार और डेटा साझेदारी सुनिश्चित की जा सके। सूत्रों ने बताया कि कुछ सेवा-विशेष परंपराओं और रीति-रिवाजों को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है या उन्हें समान स्वरूप दिया जा रहा है। साथ ही, आपसी सामाजिक मेलजोल के अवसर भी बढ़ाए जा रहे हैं ताकि सैनिक एक-दूसरे की संस्कृति और कार्यशैली को समझ सकें। इसी क्रम में सभी स्तरों पर इंटर-सर्विस पोस्टिंग बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही उपकरणों और प्लेटफॉर्म का मानकीकरण कर इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित की जाएगी। सप्लाई चेन और स्पेयर पार्ट्स प्रबंधन को सरल बनाने पर भी काम चल रहा है।
गोपनीय रिपोर्टों के स्वरूप में बदलाव
जानकारी के मुताबिक, अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट के प्रारूप में भी बदलाव पर विचार किया जा रहा है, ताकि उसमें सेवा-विशेष उपलब्धियों के साथ-साथ त्रि-सेवा आवश्यकताओं और अनुभवों का भी आकलन हो सके। पिछले कुछ वर्षों में तीनों सेनाओं ने थिएटराइजेशन की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं। इनमें क्रॉस-पोस्टिंग्स, संयुक्त लॉजिस्टिक्स नोड्स का निर्माण और प्रशिक्षण व भर्ती में अधिक तालमेल शामिल हैं। साफ है कि भारतीय सैन्य ढांचे में बड़े सुधारों से पहले तीनों सेनाओं को समान सोच, साझा रणनीति और एकीकृत कार्यप्रणाली की ओर अग्रसर किया जा रहा है।
गौतलब है कि भारतीय सेना में थिएट्राइजेशन की चर्चा लंबे समय से चल रही है, जो अमेरिकी मॉडल से प्रेरित है। हाल के वर्षों में, चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच संयुक्त कमांड्स की आवश्यकता और अधिक महसूस हो रही है। कोलकाता सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जोर दिया था कि 'एक देश, एक सेना' की अवधारणा को साकार करने के लिए संयुक्तता अनिवार्य है।





