Hindi NewsIndia NewsDont pay attention to media trials in hearing of high profile cases advises Justice Deepak Roshan
चर्चित मामलों की सुनवाई में मीडिया ट्रायल पर न दें ध्यान, जस्टिस रोशन की जजों को सलाह

चर्चित मामलों की सुनवाई में मीडिया ट्रायल पर न दें ध्यान, जस्टिस रोशन की जजों को सलाह

संक्षेप: न्यायाधीशों को चर्चित मामलों में फैसला करते समय कभी भी ‘मीडिया ट्रायल’ या जन समीक्षा से प्रभावित नहीं होना चाहिए। यह बात झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक रोशन ने मंगलवार को कही।

Tue, 30 Sep 2025 08:58 PMDeepak लाइव हिन्दुस्तान, पणजी
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न्यायाधीशों को चर्चित मामलों में फैसला करते समय कभी भी ‘मीडिया ट्रायल’ या जन समीक्षा से प्रभावित नहीं होना चाहिए। यह बात झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक रोशन ने मंगलवार को कही। जस्टिस रोशन ‘इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च’ (आईआईयूएलईआर) के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हालांकि एआई वर्तमान न्यायिक प्रणाली की जगह नहीं लेगी। लेकिन यह नियमित कार्यों को निपटाने में महत्वपूर्ण रूप से सहायता कर सकती है और समग्र दक्षता में सुधार कर सकती है। उन्होंने दक्षिण गोवा में भारतीय विधिज्ञ परिषद न्यास द्वारा संचालित विधि संस्थान आईआईयूएलईआर के छात्रों के साथ एक संवाद सत्र के दौरान न्यायिक आचरण के विभिन्न पहलुओं और उभरते कानूनी परिदृश्य पर अपने विचार साझा किए।

संवाद के दौरान जस्टिस रोशन से सवाल किया गया था कि विशेष रूप से जन सक्रियता और मीडिया के युग में चर्चित मामलों में फैसला सुनाते समय वे कैसे अप्रभावित रहते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि एक जज को वस्तुनिष्ठ होना चाहिए और निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों को कायम रखना चाहिए। जस्टिस रोशन ने कहा कि मीडिया ट्रायल से प्रभावित होना कानून के शासन के सिद्धांत और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के विरुद्ध है। उन्होंने रेखांकित किया कि न्यायाधीशों को अपने निर्णय लेने में आत्मविश्वास रखना चाहिए तथा मीडिया में चल रहे विमर्श पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

जस्टिस रोशन ने अक्सर बहस में रहने वाले इस विषय पर भी बात की कि क्या न्यायाधीशों को स्वयं को सामाजिक दायरे से अलग कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन भी आवश्यक है। मैं इससे परहेज नहीं करता। न्यायमूर्ति रोशन ने कहा कि न्यायाधीशों के लिए समाज के साथ संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है, बशर्ते उनका न्यायिक आचरण पारदर्शी और निष्पक्ष बना रहे। उन्होंने कहा कि जब तक न्यायाधीश की कलम न्यायसंगत है, तब तक सामाजिक मेलजोल में कोई बुराई नहीं है। ऐसे में, लोगों के साथ समय बिताने के लिए न्यायाधीश पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। जस्टिस रोशन ने नवनियुक्त न्यायाधीशों को सलाह दी कि वे जल्दबाजी से बचें, विशेषकर प्रारंभिक वर्षों में, तथा पक्षपात या त्रुटि के जोखिम को न्यूनतम करने के लिए केवल रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री के आधार पर निर्णय दें।