
ट्रंप के टैरिफ से भारत पर कितना असर? GDP को भी झटका; चीन और पाकिस्तान उठाएंगे फायदा
संक्षेप: चीन, वियतनाम, मैक्सिको, तुर्की, पाकिस्तान, नेपाल, ग्वाटेमाला और केन्या जैसे देश इस स्थिति का लाभ उठाने की स्थिति में हैं और टैरिफ में संशोधन के बाद भी लंबे समय तक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
भारत पर 27 अगस्त से लागू होने वाले 50% टैरिफ ने दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा निर्यात संकट खड़ा कर दिया है। अमेरिकी प्रशासन ने सोमवार को एक मसौदा अधिसूचना जारी की, जिसमें भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की रणनीति की घोषणा की गई। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहले की घोषणा का हिस्सा है। अमेरिकी गृह विभाग द्वारा जारी इस मसौदे में कहा गया है कि यह बढ़ा हुआ टैरिफ 27 अगस्त को सुबह 12:01 बजे पूर्वी डेलाइट समय से लागू होगा, जो उन भारतीय वस्तुओं पर प्रभावी होगा जो "उपभोग के लिए प्रवेश करती हैं या गोदाम से उपभोग के लिए निकाली जाती हैं।"
जीटीआरआई की रिपोर्ट: 60.2 अरब डॉलर के निर्यात पर संकट
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यह टैरिफ 60.2 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय निर्यात को प्रभावित करेगा, जिसमें कपड़ा, रत्न और आभूषण, झींगा, कालीन और फर्नीचर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस स्थिति से वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता देश विशेष रूप से चीन, वियतनाम और मैक्सिको को फायदा होगा। क्योंकि ये देश भारतीय निर्यात के प्रभावित क्षेत्रों में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की स्थिति में हैं। GTRI का अनुमान है कि भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात की मात्रा में 70% तक की कमी आ सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टैरिफ भारत के कुल 86.5 अरब डॉलर के अमेरिकी निर्यात के लगभग 66% हिस्से को प्रभावित करेगा। यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा व्यापारिक झटका है। GTRI का कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने और रोजगार तथा औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ने वाले प्रभाव को मैनेज करने के लिए रणनीतिक समायोजन की आवश्यकता होगी।
निर्यात में 43% की कमी का अनुमान
GTRI के विश्लेषण के अनुसार, भारत का अमेरिका को निर्यात वित्त वर्ष 2025 में 86.5 अरब डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2026 में 49.6 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो 43% की भारी कमी को दर्शाता है। जबकि 30% निर्यात (27.6 अरब डॉलर) शुल्क-मुक्त रहेंगे और 4% (3.4 अरब डॉलर) ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ लागू होगा, लेकिन 66% निर्यात (60.2 अरब डॉलर), जिसमें परिधान, कपड़ा, रत्न और आभूषण, झींगा, कालीन और फर्नीचर शामिल हैं, पर 50% टैरिफ लागू होगा। इस भारी टैरिफ से इन क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों का निर्यात 70% तक घटकर 18.6 अरब डॉलर तक रह सकता है।
रोजगार और वैश्विक सप्लाई चैन पर खतरा
यह घटनाक्रम भारत की अमेरिकी श्रम-प्रधान बाजारों में स्थापित स्थिति के लिए एक गंभीर चुनौती है। निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है, जिससे भारत की वैश्विक सप्लाई चैन में भूमिका कमजोर हो सकती है। GTRI के अनुसार, चीन, वियतनाम, मैक्सिको, तुर्की, पाकिस्तान, नेपाल, ग्वाटेमाला और केन्या जैसे देश इस स्थिति का लाभ उठाने की स्थिति में हैं और टैरिफ में संशोधन के बाद भी लंबे समय तक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
आर्थिक विकास पर प्रभाव
GTRI के अनुसार, भारत का जीडीपी वित्त वर्ष 2025 में 4,270 अरब डॉलर था और सामान्य परिस्थितियों में यह वित्त वर्ष 2026 में 6.5% की वृद्धि के साथ बढ़ता। हालांकि, अमेरिकी निर्यात में 36.9 अरब डॉलर की कमी के कारण वित्त वर्ष 2025 का आधार 4,233.1 अरब डॉलर तक समायोजित हो जाता है। इस संशोधित आंकड़े पर 6.5% की वृद्धि से वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी 4,508.25 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 5.6% की वास्तविक वृद्धि दर को दर्शाता है। यह सामान्य परिदृश्य की तुलना में 0.9 प्रतिशत अंक की कमी को दर्शाता है।
भारत के सामने चुनौतियां और संभावित कदम
यह टैरिफ भारत के लिए एक जटिल स्थिति पैदा करता है, क्योंकि यह न केवल आर्थिक विकास को प्रभावित करेगा, बल्कि रोजगार और औद्योगिक क्षेत्रों पर भी गहरा असर डालेगा। GTRI ने सुझाव दिया है कि भारत सरकार को इस संकट से निपटने के लिए कर सुधार, एमएसएमई के लिए समर्थन योजनाएं, और 15,000 करोड़ रुपये की ब्याज समानीकरण योजना जैसे उपाय लागू करने चाहिए। इसके अलावा, झींगा, परिधान, आभूषण और कालीन केंद्रों के लिए लक्षित ऋण और वेतन समर्थन की भी सिफारिश की गई है।





