
ट्रंप की कैसे निकालेंगे हेकड़ी, चीन और रूस के साथ मिलकर भारत बनाएगा तिकड़ी? संभावनाएं क्या
संक्षेप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर 50 फीसदी टैरिफ की घोषणा की है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा ऐतराज जताया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका के इस कदम के जवाब में क्या उपाय अपना सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर 50 फीसदी टैरिफ की घोषणा की है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा ऐतराज जताया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका के इस कदम के जवाब में क्या उपाय अपना सकता है। इस बात की भी संभावना बन रही है कि भारत चीन और रूस के साथ संबंधों को मजबूती देने की दिशा में कदम उठाए। इन दोनों देशों के साथ तिकड़ी बनाकर भारत डोनाल्ड ट्रंप की हेकड़ी निकाल सकता है। बता दें कि इस साल की शुरुआत में रूसी विदेश मंत्री एक विचार पेश किया था। उन्होंने ट्रंप की सनक भरी धमकियों के सामने रूस-भारत-चीन त्रिकोण को पुनर्जीवित करने की बात कही थी। आइए जानते हैं अगर ऐसा होता है तो फिर अमेरिका को कैसे झटका लगेगा।

बन जाएगा एशियाई पावर हाउस
-अगर रूस, चीन और भारत साथ आते हैं तो एशियाई पावरहाउस का उदय होगा। अमेरिका और यूरोप के दबदबे को धक्का लगेगा।
-इतना ही नहीं, डॉलर की मोनोपॉली भी खतरे में पड़ेगा। तीनों देश अपनी मुद्राओं में व्यापार पर जोर दे रहे हैं। अगर यह साथ आए तो नए पेमेंट सिस्टम पर काम हो सकता है। इससे डॉलर को चुनौती मिलेगी और अमेरिका के होश उड़ जाएंगे।
-रूस, भारत और चीन का गठजोड़ एक नया ताकत का केंद्र बन सकता है। रूस की सैन्य तकनीक, भारत में टैलेंट और चीन की निर्माण क्षमता अमेरिका-नाटो का काउंटर कर सकता है।
-तीनों देश मिलकर एक नया ट्रेड नेटवर्क भी बना सकते हैं। रॉ मटीरियल, निर्माण और तकनीक के साझे इस्तेमाल से यह दुनिया की इकोनॉमी पर असर डाल सकते हैं। इसके अलावा ग्लोबल चेन सप्लाई भी बदल सकती है।
अजीत डोवाल पहुंचे रूस
फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं, लगता है भारत ने इस रणनीति पर काम शुरू भी कर दिया है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल रूस में हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इसी महीने रूस पहुंचने वाले हैं। दूसरी तरफ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। अजीत डोवाल की रूस यात्रा रणनीतिक रूप से काफी अहम है। इंडिया टुडे के मुताबिक इस दौरान ट्रंप का टैरिफ दांव एजेंडे में सबसे ऊपर है। इसके अलावा डोवाल के ऊपर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की जमीन तैयार करने की भी जिम्मेदारी है। यह भी दिलचस्प है कि इस दौरान अमेरिकी राजदूत स्टीव विटकॉफ भी रूस में ही मौजूद हैं। हालांकि उनकी डोवाल से मीटिंग होगी या नहीं, यह तय नहीं है। माना जा रहा है कि विटकॉफ को ट्रंप ने इसलिए भेजा है ताकि वह रूस को यूक्रेन के साथ सीजफायर के लिए मना लें। बता दें कि ट्रंप ने रूस के सामने 8 अगस्त तक की डेडलाइन रखी है।
पीएम मोदी की चीन यात्रा
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं के बीच पीएम मोदी की इस महीने चीन यात्रा तय है। भारतीय प्रधानमंत्री यहां पर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट में हिस्सा लेने जाएंगे। प्रधानमंत्री की यह यात्रा काफी मायने रखती है। ट्रंप की रणनीतियों के बीच भारत और चीन के बीच कुछ अहम साझेदारियों को नया आयाम मिल सकता है। बता दें कि चीन और भारत रूसी तेल के दो बड़े खरीदार हैं। दोनों ने ट्रंप की धमकियों के सामने झुकने से मना कर दिया है। दोनों ही ट्रंप को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। भारत ने अमेरिका पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि अमेरिका एक तरफ तो खुद रूस से यूरेनियम और फर्टिलाइजर खरीद रहा है। वहीं, हमारे ऊपर टैरिफ थोप रहा है। वहीं, चीन ने भी हाल ही में अमेरिका को कड़ी फटकार लगाई थी। चीन ने कहा कि रूस खुद को रूस से सामान खरीद रहा है। वहीं, दूसरों को ऐसा करने पर सजा दे रहा है।





