
क्या हमें मुर्गी फार्म खोलना है? जाति सर्वेक्षण के सवालों पर भड़के डीके शिवकुमार; बीजेपी ने कसा तंज
संक्षेप: कर्नाटक में जाति सर्वेक्षण के सवालों पर ही उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि बहुत पर्सनल सवाल पूछने की जरूरत नहीं है। वहीं बीजेपी ने सरकार पर तंज कसा है।
कर्नाटक में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल-सेक्युलर (JDS) ने रविवार को राज्य में जारी सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और इसके तरीकों एवं इस दौरान पूछे जाने प्रश्नों पर आपत्ति जताई। इस सर्वे को व्यापक रूप से ‘जातिगत गणना’ कहा जा रहा है।

शिवकुमार ने कहा था कि सर्वे के दौरान सवालों को सीधा और सरल रखा जाए। लोगों से ऐसे सवाल ना पूछे जाएं जो कि काफी निजी हों। जैसे कि उनके पास कितने जानवर हैं या फिर कितना सोना है। शिवकुमार ने कहा, लोगों से यह पूछना कि उन्होंने कितनी मुर्गियां पाल रखी हैं। इससे क्या हासिल होने वाला है। क्या हमने कोई मुर्गी फार्म खोल रखा है? उन्होंने कहा, हमें सिर्फ जरूरी डेटा पर ध्यान देना है जैसे कि जाति, शिक्षा और परिवार को सरकारी स्कीमों से मिलने वाला लाभ।
बीजेपी ने क्या कहा
बीजेपी और जेडीएस ने सरकार को घेरने के लिए उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार का हवाला दिया, जिन्होंने शनिवार को सर्वेक्षण के दौरान सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा पूछे गए कई सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया था। बीजेपी की कर्नाटक इकाई के प्रमुख विजयेंद्र ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘डी के शिवकुमार की कल की प्रतिक्रिया को देखें तो यह स्पष्ट है... लोगों से 60 सवाल पूछे जा रहे हैं। सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के नाम पर सरकार द्वारा की जा रही जातिगत गणना दिन-प्रतिदिन भ्रम पैदा कर रही है। इसने सभी समुदायों में भ्रम पैदा कर दिया है।’
मैसूर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि सरकार ने बिना उचित तैयारी के जल्दबाजी में सर्वेक्षण का फैसला किया। केंद्रीय राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने भी राज्य की कांग्रेस सरकार एवं मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए इस सर्वेक्षण को अवैज्ञानिक और भ्रम व तकनीकी त्रुटियों से भरा बताया।
बेंगलुरु में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने सरकार से इस सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और इसके संचालन के तरीके पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। जेडीएस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘उपमुख्यमंत्री को खुद नहीं पता कि क्या सवाल पूछे जा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा पूछे गए सवालों से हताश हैं, तो आम लोगों का क्या हाल होगा।’ कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किया जा रहा यह सर्वेक्षण 22 सितंबर को शुरू हुआ और सात अक्टूबर तक चलेगा।





