
ज्यादा पर्सनल सवाल नहीं... जाति जनगणना के लिए अधिकारियों को डिप्टी सीएम शिवकुमार की सलाह
संक्षेप: Karnataka: उप मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों से यह पूछने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने कितनी बकरी, मुर्गे या भेड़ पाली हुई हैं और न ही यह पूछने की जरूरत है कि उनके पास कितना सोना, फ्रिज या फिर घड़ियां हैं। यह उनका निजी मामला है।
कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है। इसी बीच डिप्टी सीएम डी. के. शिवकुमार ने इस सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण (व्यापाक रूप से जाति जनगणना कहा जा रहा है) को संपन्न कराने का जिम्मा संभाल रहे अधिकारियों को एक निजी सलाह दी है। उन्होंने कहा कि वह लोगों से बहुत ज्यादा निजी सवाल न पूछें। हालांकि, उन्होंने लोगों से इस सर्वेक्षण में बढ़ चढ़कर भाग लेने की अपील की।

सर्वे में पूछे जा रहे सवालों पर विपक्षी दलों और लोगों की आपत्ति पर भी उपमुख्यमंत्री ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, "कोर्ट ने इस सर्वेक्षण को स्वैच्छिक कहा है। ऐसे में कोई भी आपत्ति उठाए, यह सर्वे होना ही चाहिए, जहां तक बात लोगों की सवालों पर आपत्ति उठाने की है, तो उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर वे किसी प्रश्न का जवाब नहीं देना चाहते, तो वह इसके लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।"
मीडिया से बात करते हुए शिवकुमार ने कहा, "मैंने अधिकारियों से कहा है कि वह बेंगलुरू में लोगों से यह न पूछें कि वह लोग कितने मुर्गे, भेड़ और बकरी पाल रहे हैं या उनके पास कितना सोना है। यह उनका निजी मामला है। उनके पास कितनी घड़ियां या फ्रिज हैं... यह पूछने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी है। लेकिन मुझे नहीं पता कि वह क्या पूछेंगे या क्या करेंगे क्योंकि वह एक स्वतंत्र आयोग है।"
आपको बता दें यह सर्वे कर्नाटक के स्टेट कमीशन ऑफ ओबीसी द्वारा किया जा रह है। इसकी शुरुआत 22 सितंबर से हो चुकी है और इसका समापन 7 अक्तूबर को होना तय है।





