डिजिटल भारत के लिए मुसीबत बन गया 'साइलेंट वायरस', हाई कोर्ट ने किस बात पर जताई चिंता
एक साइबर अपराधी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि साइबरक्राइम एक साइलेंट वायरस है और यह डिजिटल भारत को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है।

साइबरक्राइम को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि यह डिजिटल भारत के लिए बड़ा खतरा है। हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह की ठगी से लोगों का डिजिटल सेवाओं और ट्रांजैक्शन से भरोसा उठ जाता है। यह केवल किसी का निजी नुकसान नहीं है बल्कि डिजिटल भारत की पूरी संरचना को नुकसान पहुंचाने वाला है।
हाई कोर्ट ने साइबरक्राइम को एक साइलेंट वायरस बताया है। जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा कि पेमेंट गेटवे, ऑनलाइन बैंकिंग, ई वॉलेट्स के जरिए लोग लेनदेन करते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां उनके पैसे सुरक्षित हैं। वहीं जब किसी के साथ साइबर फ्रॉड होता है तो लोग डिजिटल सेवाओं के इस्तेमाल से बचने लगते हैं। इससे देश में डिजिटल ग्रोथ कम हो जाती है। इसीलिए कोर्ट साइबर क्राइम को अन्य अपराध से ज्यादा खतरनाक मानता है। कोर्ट ने कहा कि इसे साइलेंट वायरस इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह धीरे-धीरे लोगों के विश्वास को खत्म कर देता है और लोगों का डिजिटल फाइनेंशल सिस्टम से भरोसा उठ जाता है।
जस्टिस गोयल ने कहा, साइबरक्राइम सामने से दिखाई नहीं देता है। यह एक वायरस की तरह काम करता है जो कि चुपचाप सिस्टम में घुस जाता है और अपना असर दिखाने लगता है। एक साइबर अपराध सैकड़ों और हजारों लोगों को प्रभावित कर सकता है। यह पैसे के अलावा भी बहुत नुकसान करता है। आम तौर पर पहले चोरियों में किसी का वॉलेट चोरी हो जाता था तो किसी के घर में चोरी हो जाती थी। वहीं साइबर फ्रॉड पूरे डेटा सिस्टम के लिए चुनौती खड़ी कर देता है।
किस मामले में हो रही थी सुनवाई
नारनौल साइबर पुलिस थाने में दर्ज एक एफआईआर के मामले में आरोपी ने एंटीसिपेटरी बेल के लिए याचिका दी थी। जस्टिस सुमीत गोयल ने याचिका खारिज कर दी। आरोपी 20 लाख की साइबर ठगी में शामिल था। आरोपी ने ठगी के लिए अपने बैंक अकाउंट का इस्तेमाल होने दिया था। हाई कोर्ट ने अपराध को गंभीर बताते हुए गिरफ्तारी से राहत नहीं दी।
हाई कोर्ट ने क्यों कहा 'डिजिटल भारत'
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में डिजिटल इंडिया नहीं बल्कि डिजिटल भारत शब्द का इस्तेमाल किया। कोर्ट ने कहा कि यह शब्द किसी श्लोगन से कहीं आगे का है। क्योंकि आजकल डिजिटल पेमेंट ग्रामीण इलाकों और गरीबों के लिए भी जरूरी हो गया है। कोर्ट ने कहा कि भारत से देश की सांस्कृतिक पहचान का पता चलता है और इसीलिए संविधान में भी राष्ट्र के दो नाम लिखे गए हैं।