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फार्मा घोटालों में तुरंत कार्रवाई का आदेश, अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका की खारिज

फार्मा घोटालों में तुरंत कार्रवाई का आदेश, अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका की खारिज

संक्षेप: अदालत ने कहा, 'नकली दवाओं की आपूर्ति जन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। दुनिया की फार्मेसी के रूप में भारत की स्थिति को बनाए रखना है। वैध निर्माताओं को नियमों के दबाव से बचाने के लिए अपराधों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।'

Tue, 12 Aug 2025 08:39 PMNiteesh Kumar भाषा
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दिल्ली की एक अदालत ने नकली दवाओं (खासकर मधुमेह-रोधी दवा ओजेम्पिक) की विदेशी संस्थाओं को सप्लाई के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। करोड़ों डॉलर के अंतरराष्ट्रीय घोटाले का यह मामला है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ प्रताप सिंह लालर ने आरोपी विक्की रमंचा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में स्थापित करने के लिए दवा संबंधी अपराधों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई आवश्यक है।

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अदालत ने 11 अगस्त को दिए आदेश में कहा, 'नकली दवाओं की आपूर्ति जन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। दुनिया की फार्मेसी के रूप में भारत की स्थिति को बनाए रखना है। साथ ही, वैध निर्माताओं को नियमों के दबाव से बचाने के लिए दवा संबंधी अपराधों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई जरूरी है।' विक्की पर अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी गिरोह का हिस्सा होने का आरोप है। इस धोखाधड़ी की वजह से शिकायतकर्ता कंपनी जे एश्योर ग्लोबल एलएलसी को 164 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय नुकसान हुआ।

याचिकाकर्ता को क्यों नहीं मिली राहत

अदालत ने भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र को सबसे मूल्यवान आर्थिक व रणनीतिक संपत्तियों में से एक बताता। इसने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करने के खिलाफ कई कारणों का जिक्र किया। फार्मास्युटिकल क्षेत्र का राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में अहम योगदान है। अदालत ने आरोपी की अंतरराष्ट्रीय पहुंच, वित्तीय संसाधनों, साक्ष्यों से छेड़छाड़ और गवाहों को धमकाने की आशंका के अलावा उसके फरार होने के जोखिम का भी जिक्र किया।

अदालत ने गिनाए कई कारण

आदेश के मुताबिक, ऐसी परिस्थितियों में जहां जन स्वास्थ्य व सुरक्षा के खिलाफ गंभीर आरोप शामिल हों, अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भारत के दवा उद्योग की प्रतिष्ठा के लिए खतरा हों, मामले की जांच के लिए हिरासत में पूछताछ व अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता हो और जमानत देने से आपराधिक न्याय प्रणाली में जनता का विश्वास कमजोर होता हो, आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।' जज ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला देश का वैश्विक दवा क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरना, गुणवत्ता, अखंडता और कानूनी अनुपालन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की जिम्मेदारियों को भी दर्शाता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिका खारिज करने का मतलब यह नहीं है कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाए।

Niteesh Kumar

लेखक के बारे में

Niteesh Kumar
नीतीश 7 साल से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। जनसत्ता डिजिटल से बतौर कंटेंट प्रोड्यूसर शुरुआत हुई। लाइव हिन्दुस्तान से जुड़ने से पहले टीवी9 भारतवर्ष और दैनिक भास्कर डिजिटल में भी काम कर चुके हैं। खबरें लिखने के साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग का शौक है। लाइव हिन्दुस्तान यूट्यूब चैनल के लिए लोकसभा चुनाव 2024 की कवरेज कर चुके हैं। पत्रकारिता का पढ़ाई IIMC, दिल्ली (2016-17 बैच) से हुई। इससे पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के महाराजा अग्रसेन कॉलेज से ग्रैजुएशन किया। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले हैं। राजनीति, खेल के साथ सिनेमा में भी दिलचस्पी रखते हैं। और पढ़ें
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