
कफ सिरप से मौत पर केंद्र ने जारी की सलाह, बच्चों की खांसी पर राज्यों से क्या कहा गया
संक्षेप: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर जारी चिंताओं के बीच रविवार को सभी दवा निर्माताओं के लिए संशोधित अनुसूची एम का पालन करने की जरूरत पर ज़ोर दिया। साथ ही कहा कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर जारी चिंताओं के बीच रविवार को सभी दवा निर्माताओं के लिए संशोधित अनुसूची एम का पालन करने की जरूरत पर ज़ोर दिया। साथ ही कहा कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंत्रालय ने औषधि गुणवत्ता मानदंडों के अनुपालन की समीक्षा करने तथा विशेष रूप से बच्चों में कफ सिरप के तर्कसंगत इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। यह बैठक मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में बच्चों की मौत की खबरों की पृष्ठभूमि में हो रही है, जो कथित तौर पर दूषित कफ सिरप से जुड़ी हैं।

खुद ठीक हो जाती है बच्चों की खांसी
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बैठक के दौरान राज्यों को कफ सिरप का तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करने की सलाह दी गई। विशेष रूप से बच्चों के बीच क्योंकि अधिकांशतया खांसी स्वतः ठीक हो जाती है। इसके लिए उपचार की जरूरत नहीं होती है। इसमें कहा गया है कि बच्चों में कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) द्वारा जारी परामर्श पर भी चर्चा की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने इस मामले की पहले समीक्षा की थी और निर्देश दिया था कि आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाए। बैठक में राजस्थान के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने बताया कि राज्य की अब तक की जांच से पता चलता है कि चारों मौतें कफ सिरप की गुणवत्ता से संबंधित नहीं थीं।
तीन बिंदुओं पर हुई चर्चा
बयान में कहा गया कि बैठक में तीन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई। औषधि निर्माण इकाइयों में गुणवत्ता मानकों से संबंधित अनुसूची एम और अन्य जीएसआर प्रावधानों का अनुपालन। बच्चों में कफ सिरप का तर्कसंगत उपयोग जिसमें अतार्किक संयोजनों और अनुचित फॉर्मूलेशन से बचने की जरूरत शामिल है। साथ ही ऐसी दवा की बिक्री और दुरुपयोग को रोकने के लिए खुदरा फार्मेसियों के विनियमन को मजबूत करना। बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत स्थापित मेट्रोपॉलिटन सर्विलांस यूनिट (एमएसयू), नागपुर ने छिंदवाड़ा जिले के एक ब्लॉक से एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को मामलों और संबंधित मौतों के की सूचना दी थी।
विशेषज्ञों ने किया दौरा
इसमें कहा गया कि स्थिति का संज्ञान लेते हुए एनसीडीसी, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के महामारी विज्ञानियों, सूक्ष्म जीव विज्ञानियों, कीट विज्ञानियों और औषधि निरीक्षकों सहित विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम ने छिंदवाड़ा और नागपुर का दौरा किया और मध्य प्रदेश के अधिकारियों के साथ समन्वय में दर्ज किए गए मामलों और मौतों का विस्तृत विश्लेषण किया। विभिन्न नैदानिक, पर्यावरणीय, कीटविज्ञान संबंधी और औषधि संबंधी नमूने एकत्र किए गए और प्रयोगशाला परीक्षण के लिए एनआईवी पुणे, केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) मुंबई और राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) नागपुर भेजे गए।
बयान के अनुसार प्रारंभिक निष्कर्षों में लेप्टोस्पायरोसिस के एक मामले को छोड़कर, अन्य सामान्य संक्रामक रोगों की आशंका को खारिज कर दिया गया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि बच्चों को किसी भी दुष्प्रभाव से बचाने के लिए खांसी की दवा या दवाओं का कोई भी संयोजन नहीं दिया जाना चाहिए। वहीं, डीजीएचएस सुनीता शर्मा ने बच्चों के लिए कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बच्चों को खांसी की दवाओं से बहुत कम लाभ होता है, लेकिन इनमें जोखिम बहुत अधिक होता है।





